बांग्लादेश में फैली अराजकता के बीच हिंदुओं पर हमले की खबरें भी सामने आ रही हैं। कई वीडियो में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं भी देखी जा सकती हैं। वहीं, जब से ढाका में शेख हसीना सरकार गिरी है और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की खबरें सामने आई हैं, तब से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं ने केंद्र सरकार से संकटग्रस्त समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की है।
इस सबके बीच भारतीय जनता पार्टी बांग्लादेश में हिंसा का सामना कर रहे हिंदू समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा के लिए पार्टी के भीतर बार-बार की जा रही मांग से परेशान है। पार्टी के लिए अधिक समस्या यह है कि पूर्वोत्तर भारत में उसके अपने नेता अपने राज्यों में बांग्लादेशी प्रवासियों की बड़ी आमद नहीं चाहते हैं।
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने हाल ही में इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और तर्क दिया कि बांग्लादेश में अस्थिरता के परिणामस्वरूप करोड़ों लोग भारत में, खासकर पश्चिम बंगाल में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अमित शाह से यह भी कहा है कि ऐसे हालात में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की आवश्यकता पड़ती है जो उन आवेदकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करती है जो पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हैं और उत्पीड़न से परेशान हैं।
पूर्व राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता की अपील
पूर्व राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने भी बांग्लादेश के प्रतिष्ठित लोगों को भारत में एंट्री न देने पर चिंता जताई। बीएसएफ ने उन्हें देश में प्रवेश से इनकार कर दिया था क्योंकि उनके पास कोई वैध वीजा नहीं था। स्वपन दासगुप्ता ने एक्स पर पोस्ट किया,”वास्तव में उन्हें भेड़ियों के सामने फेंक दिया गया था।” उन्होंने अमित शाह से अपील की कि बारीकियों से परे जाएं और बांग्लादेश में हमारे पारंपरिक दोस्तों के प्रति अधिक समझदार बनें।

पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं देना चाहते बांग्लादेशियों को एंट्री
वहीं, दूसरी ओर कुछ भाजपा नेताओं की राय इससे अलग है। बांग्लादेश की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों का मत अलग है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कहा कि बांग्लादेश में इस हफ्ते हुई घटनाओं के बाद उनके राज्य और पड़ोसी देश के बीच की सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया है और अभी तक किसी ने भी हमारी सीमा में प्रवेश नहीं किया है।
त्रिपुरा के सीएम माणिक साहा ने भी कहा कि सीमा को सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने भी घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की वकालत की।
BJP नेता की बांग्लादेश के दो टुकड़े करने की मांग
वहीं, गाजियाबाद की BJP नेता डॉ उदिता त्यागी ने बांग्लादेश के दो टुकड़े करने की मांग की है। गुरुवार को जारी एक वीडियो में उदिता त्यागी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में हस्तक्षेप कर अपनी सेना बांग्लादेश भेजें और उसके दो टुकड़े करके हिंदुओं के लिए अलग देश बनाएं। ऐसा करने से ही वहां रहने वाले हिन्दू भाई-बहनों की रक्षा संभव है।
पीएम मोदी की हिंदुओं सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग
इस सबके बीच नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और अपने देश में हिंदुओं सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारियां संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हम हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति में जल्द से जल्द वापसी की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
बांग्लादेशियों की भारत में घुसने की कोशिश
हाल ही में बांग्लादेश में हुई हिंसा के बाद भारत की सीमा पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए थे जो भारत में घुसने की मांग कर रहे थे। हालाँकि, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सभी गैर-दस्तावेज आप्रवासियों को, चाहे वे किसी भी धर्म के हों भारत में घुसने नहीं दे रहा है। लोगों को भगाने के लिए बीएसएफ़ को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि पिछले चार दिनों में बांग्लादेशियों के समूहों द्वारा भारत में प्रवेश करने के कई प्रयास किए गए हैं। बीएसएफ ऐसे लोगों को बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश की मदद से वापस भेज रही है।
बीएसएफ़ की हवाई फायरिंग
‘द हिंदू’ से बातचीत के दौरान बीएसएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “हम बांग्लादेशियों को रोक रहे हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। अगर किसी व्यक्ति के पास कोई दस्तावेज नहीं है तो हमारे पास गृह मंत्रालय (एमएचए) से निर्देश हैं कि उन्हें भारत में प्रवेश न करने दिया जाए। राज्य पुलिस भी बांग्लादेश सीमा पर निगरानी रखने में हमारी मदद कर रही है। वे सभी इलाकों में गश्त कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि भारत आधिकारिक तौर पर शरणार्थियों को मान्यता नहीं देता है और 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और इसके 1967 प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे दो उदाहरण हैं जब बांग्लादेशी अधिकारियों ने उनके कार्यालय पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद मदद मांगी। अधिकारी ने बताया कि मेघालय में डावकी चेकपोस्ट के पार दंगाइयों ने जब्त किए गए सामान को लूटने के लिए बांग्लादेश में एक सीमा शुल्क कार्यालय पर हमला किया। हमें बांग्लादेशी अधिकारियों का फोन आया और भीड़ के तितर-बितर होने तक उन्हें जीरो लाइन तक आने की अनुमति दी गई। दरअसल, शून्य रेखा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ से परे एक क्षेत्र को दर्शाती है।
7000 से अधिक भारतीय छात्र भारत लौटे
वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश की स्थिति के मद्देनजर पिछले कुछ हफ्तों में 7,200 से अधिक भारतीय छात्र भारत लौटे हैं। राज्यसभा को बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखित जवाब में यह भी बताया कि उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 19,000 भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें 9,000 से अधिक छात्र हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बांग्लादेश में रह रहे भारतीय छात्र केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम जैसे राज्यों से हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश में हमारे मिशन और पोस्ट द्वारा राज्यवार सूची नहीं बनाई जाती है।’’ उन्होंने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग भारतीय नागरिकों की स्वैच्छिक वापसी में सहायता कर रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘विदेश मंत्रालय भूमि बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर पहुंचने वाले हमारे नागरिकों के लिए सुगम मार्ग सुनिश्चित करने लिए संबंधित भारतीय प्राधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है।
बांग्लादेश के हालात
बांग्लादेश में पांच अगस्त से ही अराजकता का माहौल है। उस दिन शेख हसीना के देश छोड़कर जाते ही हजारों छात्र प्रधानमंत्री आवास में घुस गए थे और वहां जमकर लूटपाट की थी। ढाका सहित बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में लूटपाट और डकैती की घटनाएं भी सामने आ रही हैं जिसके चलते विभिन्न क्षेत्रों के निवासी पूरी रात सड़कों पर बिता रहे हैं। पड़ोसी देश में सड़कों पर पुलिस नहीं है। लोग अपने घरों में सुरक्षित नहीं हैं। एटीएम में पैसे नहीं हैं। पुलिसकर्मियों पर घातक हमलों की खबरों के बीच अपनी सुरक्षा के डर का हवाला देते हुए पुलिस ने कामकाज बंद रखा है।