मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने नौ अक्तूबर को 162 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या महज 18 (यानी 11.11 फीसदी) है।
बता दें कि हाल ही में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की अगुआई वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलवा कर महिला आरक्षण विधेयक पास करवाया और चंद दिनों के भीतर ही राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून भी बनवा दिया, जिसमें लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित किए जाने का प्रावधान है। हालांकि, यह कानून अमल में लाने से पहले परिसीमन कराए जाने की बात कही गई है।
परिसीमन की शर्त के चलते यह कानून कब अमल में आ पाएगा, इस बारे में निश्चित रूप से अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, अगर पार्टियां महिलाओं को एक-तिहाई टिकट दें तो अपने आप विधायिका में उनकी संख्या एक-तिहाई हो जाएगी। पर, इस तरीके से उन्हें ‘आरक्षण का हक’ दिए जाने के पक्ष में पार्टियां लगती नहीं हैं।
बीजेपी ने नौ अक्तूबर को कहां कितने महिला उम्मीदवार उतारे?
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: मध्य प्रदेश के लिए नौ अक्तूबर को बीजेपी ने उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की। इसमें 57 उम्मीदवारों का नाम है। महिला उम्मीदवार केवल पांच हैं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं। नौ अक्तूबर को बीजेपी ने पहली सूची में 41 उम्मीदवार घोषित किए। इनमें 4 महिलाएं हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: छत्तीसगढ़ में 64 बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में नौ महिलाएं हैं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
नौ अक्तूबर को उम्मीदवार बनाई गई चार महिलाओं में से एक सांसद, एक पिछले चुनाव की हारी हुई निर्दलीय हैं। राजस्थान में सुजानगढ़ से संतोष मेघवाल, विद्याधर नगर से दिया कुमारी, हिण्डौन से राजकुमारी जाटव और बागीदौरा से कृष्णा कटारा को टिकट मिला है।
संतोष मेघवाल पिछले चुनाव में सुजानगढ़ से ही निर्दलीय लड़ी थीं और हार गई थीं। इससे पहले वह 2015 में कांग्रेस से प्रधान बनी थीं। भाजपा से उनका नाता महज तीन साल पुराना है। वह 28 अक्तूबर, 2020 को भाजपा में आई थीं।
जयपुर राजघराने की दिया कुमारी सांसद हैं। वह 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक बनीं और 2019 में राजसमंद से लोकसभा पहुंचीं।
राजकुमारी जाटव 2013 में हिंडौन से भाजपा विधायक थीं। 2018 में उनका टिकट कट गया था तो सीट भी कांग्रेस के खाते में चली गई थी। अब फिर भाजपा ने उन पर दावं लगाया है।
53 साल की कृष्णा कटारा भाजपा की प्रदेश मंत्री और जिला परिषद सदस्य हैं। नगरपालिका अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक 15वीं विधानसभा में कुल 27 महिला विधायक हैं। इनमें बीजेपी की 10 और कांग्रेस की 15 हैं।
मध्य प्रदेश का हाल
मध्य प्रदेश की बात करें तो जयसिंहनगर से मनीषा सिंह, मानपुर से कुमारी मीना सिंह मांडवे, गोविंदपुरा से कृष्णा गौर, देवास से गायत्रीराजे पवार और इंदौर-4 से मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ का नाम लिस्ट में है।
कृष्णा गौर मौजूदा विधायक और राज्य के दिवंगत मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर की बहू हैं। मीना सिंंह 1996 में पहली बार विधायक बनी थीं और 2003 में मंत्री भी रह चुकी हैं। वह 2008, 2013 और 2018 में भी विधायक बनीं। 2020 में जब शिवराज सरकार बनी तो उन्हें फिर मंत्री बनाया गया।
छत्तीसगढ़ में 64 में नौ महिलाएं, इनमें दो सांसद
नौ अक्तूबर को जारी लिस्ट में छत्तीसगढ़ से महिला उम्मीदवारों में सांसद रेणुका सिंह (भरतपुर-सोनहत), उधेश्वरी पैकरा (सामरी), रायमुनि भगत (जशपुर), सांसद गोमती साय (पत्थलगांव), सुनीति सत्यानंद राठिया (लैलूंगा), शिव कुमारी चौहान (सारंगढ़), संयोगिता सिंह जूदेव (चंद्रपुर), रंजना दीपेंद्र साहू (धमतरी) और लता उसेंडी (कोंडागांव) शामिल हैं।
बता दें कि संयोगिता के पति युद्धवीर सिंह जूदेव बीजेपी से विधायक थे। युद्धवीर ने पिता दिलीप सिंंह जूदेव की विरासत संभालते हुए विधायकी संभाली। वह 2008 और 2013 में विधायक रहे, लेकिन भाजपा ने 2018 में संयोगिता पर दांव खेला। 2018 में संयोगिता चंद्रपुर से चुनाव हार गई थीं।
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाएं
पहली लोकसभा में 5 प्रतिशत महिला सांसद थीं। मौजूदा लोकसभा (2019) में 15 फीसदी हैं। स्वीडन और नॉर्वे में यह आंकड़ा सर्वाधिक (46 प्रतिशत) है। द. अफ्रीका में 45 प्रतिशत महिला सांसद हैं और बांगलादेश में 21 प्रतिशत हैं।
भारत में पार्टीवार बात करें तो क्षेत्रीय पार्टियां आगे हैं। लोकसभा में बीजेडी की 42 प्रतिशत और टीएमसी की 39 प्रतिशत महिला सांसद हैं। कांग्रेस-बीजेपी की 14-14 प्रतिशत हैं।
राज्यसभा में कुल 13 प्रतिशत महिला सांसद हैं। बीजेपी-15, कांग्रेस- 17 और टीएमसी-15 प्रतिशत पर है।
जीत की संभावना (Winnability) के मामले में महिलाएं पुरुषों के बराबर ही हैं। 2019 में बीजेपी ने 13 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया, लेकिन जीते सांसदों में उनकी संख्या 14 फीसदी पर रही। कांग्रेस ने 13 फीसदी को टिकट दिया, 12 फीसदी सांसद बनीं।
विधायकों की बात करें तो केवल 9 फीसदी महिलाएं हैं। सबसे ज्यादा जहां है (छत्तीसगढ़) वहां भी 18 प्रतिशत ही है। केवल 12 राज्यों में यह पर्सेंटेज डबल डिजिट में है।