आंध्र प्रदेश के कुरनूल के पर्वतारोही भरत थम्मिनेनी मंगलवार को दुनिया के छठे सबसे ऊंचे पर्वत ‘माउंट चो ओयू’ (8,188 मीटर) पर चढ़ाई करने के साथ दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों में से नौ पर फतह करने वाले पहले भारतीय बन गए। इस 36 वर्षीय पर्वतारोही के करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि इस उपलब्धि से पहले थम्मिनेनी ने मई 2017 में माउंट एवरेस्ट, सितंबर 2018 में माउंट मनास्लू, मई 2019 में माउंट ल्होत्से, मार्च 2022 में माउंट अन्नपूर्णा, अप्रैल 2022 में माउंट कंचनजंगा, मई 2023 में माउंट मकालू, अक्तूबर 2024 में माउंट शीशपंगमा और अप्रैल 2025 में माउंट धौलागिरि पर चढ़ाई की थी। ये सभी 8,000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं। बची हुई पांच शीर्ष चोटियां माउंट केटू, नंगा पर्वत, गशेरब्रुम एक व दो और ब्राड पीक पाकिस्तान में हैं और वर्तमान में भारतीय पर्वतारोहियों के लिए वर्जित हैं।
थम्मिनेनी भारत के सबसे कुशल पर्वतारोहियों में से एक
थम्मिनेनी ने भारत में अपने दोस्त को बताया कि 30 सितंबर को चीन के चो ओयू बेस कैंप पहुंचे, लेकिन खराब मौसम और भारी बर्फबारी के कारण उन्हें पहाड़ पर चढ़ने के शुरूआती प्रयास छोड़ने पड़े और आधार शिविर में ही रुकना पड़ा। उन्होंने बताया कि हमने 12 अक्तूबर तक इंतजार किया और फिर जल्दी से चोटी पर चढ़ने का फैसला किया। पर्वतारोही ने सफलतापूर्वक उतरने के बाद कहा कि मैं मंगलवार सुबह 6:55 बजे (चीनी समय) और 8:55 बजे (भारतीय समय) चोटी पर पहुंच गया था। थम्मिनेनी का यह कारनामा इसलिए और भी महत्त्वपूर्ण हो गया क्योंकि आधार शिविर से शिखर तक पहुंचने के उनके प्रयास में उनके साथ कोई शेरपा नहीं था।
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पर्वतारोहण कंपनी बूट्स एंड क्रैम्पन्स के संस्थापक थम्मिनेनी को पहले ही भारत के सबसे कुशल पर्वतारोहियों में से एक का दर्जा मिल चुका है। थम्मिनेनी के एक मित्र दीपांजन दास ने बताया कि एक दशक के दौरान भरत ने छह महाद्वीपों में अभियान दलों का मार्गदर्शन किया है और भारतीय पर्वतारोहियों की नई पीढ़ी को प्रेरित किया है। उनके नेतृत्व में एवरेस्ट 2025 अभियान ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं, जब हिमाचल प्रदेश की छोंजिन आंग्मो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली दृष्टिहीन महिला बनीं और उस समय 16 वर्षीय विश्वनाथ कार्तिकेय, सात शिखरों की चुनौती पूरी करने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बने।
भारतीय पर्वतारोहियों की एक नई पीढ़ी को सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के लिए प्रेरित करेगा – थम्मिनेनी
शिखर शिविर से एक रिकार्ड किए गए संदेश में पर्वतारोही ने अपनी इस उपलब्धि को देश के साहसिक खेलों के प्रति उत्साही नई पीढ़ी को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारतीय साहसिक खेलों की क्षमता का प्रमाण है। पहाड़ सम्मान, दृढ़ता और धैर्य की मांग करते हैं। आज चो ओयू की चोटी पर खड़े होकर, मैं इस यात्रा के लिए अपार कृतज्ञता महसूस करता हूं और आशा करता हूं कि यह भारतीय पर्वतारोहियों की एक नई पीढ़ी को सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
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थम्मिनेनी ने भारत में अपने दोस्त को बताया कि 30 सितंबर को चीन के चो ओयू बेस कैंप पहुंचे, लेकिन खराब मौसम और भारी बर्फबारी के कारण उन्हें पहाड़ पर चढ़ने के शुरूआती प्रयास छोड़ने पड़े और आधार शिविर में ही रुकना पड़ा। उन्होंने बताया कि हमने 12 अक्तूबर तक इंतजार किया और फिर जल्दी से चोटी पर चढ़ने का फैसला किया। शिखर शिविर से एक रिकार्ड किए गए संदेश में पर्वतारोही ने अपनी इस उपलब्धि को देश के साहसिक खेलों के प्रति उत्साही नई पीढ़ी को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारतीय साहसिक खेलों की क्षमता का प्रमाण है।