केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को मुंबई में एनडीए के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज करते हुए विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) को औरंगजेब फैन क्लब बताया। शाह ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे औरंगजेब फैन क्लब के नेता हैं।
यहां याद दिलाना जरूरी होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी बीजेपी के नेताओं ने इस तरह के बयान दिए थे जिससे उस पर आरोप लगा था कि वह चुनाव में हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करना चाहती है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री की ओर से कांग्रेस पर हमला बोलते हुए ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले, मंगलसूत्र छीने जाने और घुसपैठियों जैसे जुमले उछाले गए थे। बीजेपी की चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अन्य नेताओं ने ऐसी बातें की थीं।

अमित शाह ने कहा कि उद्धव ठाकरे ऐसे लोगों के साथ बैठे हैं जिन्होंने 1993 बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को क्षमादान देने की मांग की थी। शाह ने कहा कि उद्धव ने ऐसे लोगों के साथ हाथ मिला लिया है जिन्होंने जाकिर नायक को मैसेंजर ऑफ पीस अवॉर्ड दिया था। बता दें कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 2016 में जाकिर नाइक को ‘ए मैसेंजर ऑफ पीस’ कहा था।
शाह ने कहा कि उद्धव ठाकरे ऐसे लोगों के साथ हैं जिन्होंने मुंबई पर हुए 26/11 के हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को बिरयानी खिलाई थी। याद दिला दें कि आमिर अजमल कसाब को जेल में बिरयानी खिलाए जाने वाली बात पब्लिक प्रॉसिक्यूटर उज्जवल निकम ने कही थी लेकिन बाद में उज्जवल निकम के इस दावे को जेल के अधिकारियों ने खारिज कर दिया था और खुद निकम ने कहा था कि उन्होंने ऐसा कोई दावा नहीं किया था।
लगे हाथ यह भी बता दें कि उज्जवल निकम अब बीजेपी में हैं। उन्हें बीजेपी ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार भी बनाया था। वह चुनाव हार गए थे।

औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा
शाह ने एक मुद्दा नाम बदलने का भी उठाया। उन्होंने कहा- महा विकास आघाडी महाराष्ट्र की सत्ता में रहने के दौरान औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर रखने में नाकामयाब रहा।
बता दें कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का फैसला 29 जून, 2022 को महा विकास आघाडी सरकार की कैबिनेट की बैठक में लिया गया था। लेकिन, यह उद्धव सरकार के अंतिम फैसलों में से एक था। इस बैठक के कुछ घंटे ही बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
जब महाराष्ट्र में एनडीए की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि महा विकास आघाडी सरकार द्वारा लिया गया फैसला अवैध था, क्योंकि यह तब लिया गया था जब आघाडी सरकार अपना बहुमत खो चुकी थी।
16 जुलाई, 2022 को शिंदे सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

चुनावी जीत का दावा
अमित शाह ने अपने भाषण में यह भी कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति का इस बार प्रदर्शन 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर होगा और यह महाराष्ट्र में सबसे बड़ी जीत होगी।
लोकसभा चुनाव से पहले भी प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात का दावा किया था कि महाराष्ट्र में बीजेपी शानदार प्रदर्शन करेगी लेकिन चुनाव के नतीजे पूरी तरह उलट रहे और महा विकास आघाडी गठबंधन महायुति से बहुत आगे रहा।
48 में से 30 सीटें जीता महा विकास आघाडी
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 9 | 23 |
कांग्रेस | 13 | 1 |
एनसीपी | 1 | 4 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 | – |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 | – |
शिवसेना | 7 | 18 |
शरद पवार को बताया भ्रष्टाचार का सरगना, पहले दिया था पद्म विभूषण
अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान शरद पवार पर भी हमला बोला और कहा कि वह भ्रष्टाचार के सरगना हैं। उनके इस बयान पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले का कहना है कि मोदी सरकार ने ही शरद पवार को पद्म विभूषण दिया था। ऐसे में बीजेपी को तय करना चाहिए कि शरद पवार कौन हैं।
यही नहीं, जब तक शरद पवार के भतीजे और महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित पवार एनडीए के साथ नहीं आए थे तब तक भाजपा उन्हें भ्रष्टाचारी कहती थी लेकिन बाद में बीजेपी ने अजित पवार को राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री भी बनाया और उन्हें एनडीए में शामिल कर लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी को 70000 करोड़ रुपये के घोटालों में शामिल बताया और एक के बाद एक घोटालों के नाम भी गिनाए। लेकिन, एक हफ्ता भी नहीं बीता कि एनसीपी से अलग होकर आए अजित पवार के साथ बीजेपी ने महाराष्ट्र में सत्ता की साझीदारी कर ली।
महायुति में हालात ठीक नहीं
इस सब के बीच महाराष्ट्र में महायुति के अंदर हालत ठीक नहीं हैं और बीजेपी के भीतर यह आवाज उठ चुकी है कि अजित पवार की पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया जाना चाहिए। आरएसएस की मराठी पत्रिका विवेक में भी कहा गया है कि महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के पीछे एक बड़ी वजह एनसीपी से गठबंधन होना है। अजित पवार कह चुके हैं कि एनसीपी महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेगी।
महाराष्ट्र में अगले 4 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।