लोकसभा सांसद रितेश पांडे रविवार (25 फरवरी) को बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। वह राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता राकेश पांडे वर्तमान में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक हैं। पहले वह अंबेडकरनगर से सांसद भी रह चुके हैं।

42 वर्षीय रितेश पांडे ने उस बसपा में जगह बनाई थी, जिसका मुख्य जनाधार जाटव (दलित समुदाय की एक जाति) हैं। पांडे ने लोकसभा में पार्टी के फ्लोर लीडर के रूप में कार्य किया। लेकिन 2022 में यूपी विधानसभा चुनावों में हार के बाद उन्हें बदल दिया गया।

रितेश पांडे ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में बताया है कि उन्हें किस चीज ने बसपा छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। पढ़िए बातचीत का अंश:

आपने बसपा क्यों छोड़ी?

2022 यूपी विधानसभा चुनाव के बाद मुझे किसी भी पार्टी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया। मैं इस पर अधिक टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि मैं ‘बहनजी (मायावती)’ का सम्मान करता हूं। उन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया है और मैं उनके बारे में नकारात्मक बयान नहीं देना चाहता। मेरी तरह अन्य सांसदों को भी आमंत्रित नहीं किया गया। वे खुद इस बारे में बताएंगे।

क्या आपको आशंका थी कि इस बार बसपा आपको टिकट नहीं देगी?

बसपा में पिछले 12 साल से मैंने बहुत कुछ सीखा है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे सिखाया है लेकिन हाल ही में मुझे लगने लगा है कि पार्टी को अब मेरी जरूरत नहीं है। पार्टी और उसके सांसदों के बीच संचार की व्यवस्था होनी चाहिए। पिछले दो वर्षों में बातचीत में लगातार गिरावट आ रही थी। संपर्क लगभग शून्य हो गया था। इससे मुझे लगा कि पार्टी को मेरा काम पसंद नहीं आया और मैंने अपने भविष्य के कदम पर फैसला करना उचित समझा।”

आपने सबसे पहले बसपा को ही क्यों चुना?

मैं 24 साल की उम्र में पार्टी में शामिल हुआ था क्योंकि मैं सबसे वंचित वर्गों के बारे में पार्टी, भीमराव अंबेडकर, कांशीराम जी और मायावती जी के विचारों से प्रभावित था। अब भी मैं उनके विचारों से प्रभावित हूं लेकिन मुझे अपने प्रति पार्टी के दृष्टिकोण में स्पष्टता नहीं दिखी।

बसपा सांसद अफजाल अंसारी को सपा का उम्मीदवार घोषित किया गया है जबकि दानिश अली राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल हुए थे।अन्य सांसद भी कथित तौर पर विभिन्न दलों के संपर्क में हैं। बसपा से मौजूदा सांसद दूर क्यों हो रहे हैं?

मैं उनके लिए जवाब नहीं दे सकता। मैं केवल खुद के लिए बात कर सकता हूं। मुझे उपेक्षित और अवांछित महसूस हुआ।

आप भाजपा में क्यों शामिल हुए ?

मैं समाज के उत्पीड़ित और वंचित वर्गों के लिए लड़ने के लिए राजनीति में आया। पिछले दशक में मैंने उन्हें घर, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलते देखा है। उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी जोर दिया जा रहा है। अंबेडकर नगर में पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4,000 से अधिक घर बनाए गए, शौचालय बनाए गए, हर गांव में पानी की टंकी बनाई गई और हर घर में बिजली है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के साथ सबसे पिछड़े इलाकों में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में सफल रहे हैं।

कहा गया कि आप अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक समानांतर संगठन विकसित कर रहे हैं। क्या आपको लगा कि चुनाव में आपको इसकी ज़रूरत पड़ेगी क्योंकि बसपा आपके संपर्क में नहीं थी?

एक राजनीतिक नेता को यह सुनिश्चित करने के लिए एक संगठन की आवश्यकता होती है कि उसके काम का लाभ सबसे वंचित व्यक्ति तक पहुंचे। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि लोग बिना किसी परेशानी के अपने प्रतिनिधियों से मिल सकें। एक नेता संगठन के माध्यम से अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से जुड़ा रहता है।

क्या आप लोकसभा चुनाव लड़ेंगे?

ऐसे फैसले लोकतांत्रिक तरीके से लिए जाते हैं। मैं पार्टी के फैसले का पालन करूंगा।

आपके भाजपा में शामिल होने से ठीक पहले मायावती ने कहा था कि BSP सांसदों को समय-समय पर यह आकलन करने की जरूरत है कि उन्होंने पार्टी के दिशानिर्देशों का ठीक से पालन किया है या नहीं।

मुझे जो जिम्मेदारियां दी गईं, उन्हें मैंने पूरी ताकत और निष्ठा से पूरा करने का प्रयास किया।’ मेरे ध्यान में लाई गई किसी भी कमियों या खामियों को मैंने ठीक भी किया।

मायावती और बसपा के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?

मायावती जी एक बेहद सम्मानित और बेहद लोकप्रिय नेता हैं। यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने उनके निर्देशों पर काम किया और लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व किया। बहनजी और बसपा कार्यकर्ताओं ने मेरा मार्गदर्शन किया और सिखाया। मैं बहनजी को एक समाज सुधारक के रूप में देखता हूं और ऐसे ही हमेशा देखते रहूंगा।