Ajit Pawar Mahayuti OBC Voters: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का बड़ा फोकस ओबीसी मतदाताओं पर है। पार्टी ओबीसी मतदाताओं को रिझाने की हरसंभव कोशिश कर रही है और महायुति की सरकार ने इस समुदाय के लिए कई बड़े ऐलान भी किए हैं। लेकिन महायुति सरकार में शामिल उप मुख्यमंत्री अजित पवार को ही इस बात का भरोसा नहीं है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में ओबीसी मतदाता बड़े पैमाने पर महायुति के साथ खड़े होंगे। सवाल यह है कि क्या अजित पवार के इस बयान से विधानसभा चुनाव में महायुति को राजनीतिक नुकसान हो सकता है?
अजित पवार ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि लोकसभा चुनाव में महायुति गठबंधन भले ही महा विकास अघाड़ी (MVA) से पीछे रह गया था लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि तब MVA ने संविधान बदलने और हिंदू राष्ट्र बनाने का नैरेटिव चुनाव में चलाया था और महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग ने इस पर यकीन कर लिया था।
साथ ही नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चले आंदोलन की वजह से भी लोगों ने यह भरोसा कर लिया कि उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा। विपक्ष ने लोगों से कहा कि अगर एनडीए को 400 सीटें मिल गई तो वह ऐसा ही करेगा लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद यह सभी बातें बेबुनियाद साबित हुई हैं और अब इनका कोई मतलब नहीं है।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ था बड़ा नुकसान
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 9 | 23 |
कांग्रेस | 13 | 1 |
एनसीपी | 1 | 4 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 | – |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 | – |
शिवसेना | 7 | 18 |
अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में आमतौर पर जाति के आधार पर वोटिंग को नजरअंदाज किया जाता है। पवार ने कहा कि एक वक्त था जब बीजेपी के पास गोपीनाथ मुंडे, एनएस फरांडे और अन्ना डांगे जैसे दिग्गज ओबीसी नेता थे और इससे वंजारी समुदाय एकजुट हुआ लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता कि अब ऐसा उस हद तक हो रहा है।

…बंटेंगे तो कटेंगे का नारा नहीं चलेगा
अजित पवार ने एक बार फिर कहा कि बीजेपी का वोट जिहाद और बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे उत्तर भारत में तो चल सकते हैं लेकिन महाराष्ट्र में इस तरह की बातें नहीं कहीं जानी चाहिए। पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक है तो सेफ है का नारा दिया है और इसका मतलब उन्होंने सभी को एकजुट रहने को कहा है।
लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र में फिर से महायुति की सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगाया है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी और सरकार के तमाम बड़े नेता, मंत्री महाराष्ट्र में धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी लड़की बहिन योजना जैसी कई अन्य योजनाओं के जरिए चुनाव में फिर से सत्ता में लौटने की कोशिश की है। महाराष्ट्र में ओबीसी एक बड़ा समुदाय है और इसकी आबादी मराठा समुदाय से भी ज्यादा है।

ओबीसी समुदाय तक पहुंची है बीजेपी
बीजेपी ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में 175 ऐसी सीटों की पहचान की है जहां पर ओबीसी मतदाता असरदार साबित हो सकते हैं जबकि मराठा समुदाय का ज्यादातर असर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में है और यहां कुल मिलाकर 116 विधानसभा सीटें आती हैं। बीजेपी ने पिछले कुछ महीनो में ओबीसी समुदाय तक पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं और पार्टी ने माइक्रो ओबीसी मैनेजमेंट पर काम किया है।
बीजेपी ओबीसी मतदाताओं को अपने साथ बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे से यह पता चला है कि मराठा समुदाय महा विकास अघाड़ी (MVA) के साथ ज्यादा दिख रहा है।
महायुति सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ओबीसी समुदाय को लुभाने के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए सात नई ओबीसी जातियों को सेंट्रल ओबीसी लिस्ट में शामिल किया था और क्रीमी लेयर की सीमा को सालाना 8 लाख से बढ़ाकर 12 लाख कर दिया गया था। माना जा रहा है कि इस तरह के फैसलों से महायुति को ओबीसी मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है। महाराष्ट्र में ओबीसी में 341 जातियां उपजातियां शामिल हैं और इनमें माली, धनगर और वंजारी प्रमुख समुदाय हैं। इन्हें साधने के लिए ही पार्टी ने 1980 में माधव फार्मूला दिया था।

हरियाणा में मिला ओबीसी मतदाताओं का साथ
हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह बात सामने आई थी कि बीजेपी ने ओबीसी मतदाताओं के समर्थन के दम पर जीत हासिल की है। बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था और बेहद मुश्किल चुनाव में भी पार्टी ने जीत दर्ज कर ली थी।
बीजेपी की कोशिश विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा के इलाकों में ओबीसी के छोटी जाति समूहों पर फोकस करने की है। महाराष्ट्र में बीजेपी जिन ओबीसी समूहों पर फोकस कर रही है उनमें तेली, बंजारा, पवार, भोयर, कोमटी, सोनार, गोंड और दो दर्जन अन्य जातियां शामिल हैं।
ओबीसी मंच के अध्यक्ष प्रकाश शेंडगे ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था कि यह राजनीतिक हिस्सेदारी की लड़ाई है और इसने ओबीसी को एकजुट कर दिया है। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और राज्य में 20 नवंबर को एक ही चरण में इन सभी सीटों पर मतदान होगा। 18 नवंबर को चुनाव प्रचार थम जाएगा और इस लिहाज से प्रचार के लिए काफी कम दिन बचे हैं।