दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी की निगाह हरियाणा के विधानसभा चुनाव पर है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने शनिवार को हरियाणा के लोगों के लिए केजरीवाल की पांच गारंटियों को लांच किया। 

इस मौके पर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पंजाब के सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संदीप पाठक और आप की हरियाणा इकाई के प्रमुख सुशील गुप्ता समेत पार्टी के प्रमुख नेता मौजूद थे।

इन गांरटियों में हरियाणा को मुफ़्त और 24 घंटे बिजली, सबको अच्छा और मुफ्त इलाज, सरकारी स्कूलों में अच्छी और मुफ्त शिक्षा, सभी माताओं-बहनों को हर महीने 1000 की सम्मान राशि और हर युवा को रोज़गार देने की बात कही है। 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने नारा दिया है कि ‘बदलेंगे हरियाणा का हाल, अब लाएंगे केजरीवाल’।

आम आदमी पार्टी ऐलान भी कर चुकी है कि वह हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन हरियाणा में आम आदमी पार्टी के सामने क्या चुनौतियां हैं, इस पर बात करना जरूरी है। 

अक्टूबर, 2012 में अपनी स्थापना के बाद आम आदमी पार्टी ने बेहद कम समय में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तो हासिल किया ही है, दिल्ली में लगातार तीसरी बार (एक बार गठबंधन और दो बार खुद के दम पर) और पंजाब में एक बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। 

Delhi CM Arvind Kejriwal | AAP | BJP
केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत तो निशाने पर आई CBI (सोर्स – PTI/File)

चेहरा न होना बड़ी चुनौती 

अरविंद केजरीवाल खुद भी हरियाणा से हैं और फरवरी, 2022 में पंजाब के चुनाव नतीजे आने के बाद से ही उन्होंने हरियाणा के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी। लेकिन कथित शराब घोटाले की वजह से अरविंद केजरीवाल लंबे वक्त जेल में हैं और इस वजह से हरियाणा में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व नहीं कर पा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसी चेहरे का नहीं होना ही है। 

बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा प्रदेश स्तर पर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली सहित कई नेता हैं जबकि कांग्रेस के पास भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान, सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा, रोहतक से लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा सहित कई नेता हैं, जो चुनाव में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन आम आदमी के पार्टी के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। 

AAP Sanjay Singh। AAP Atishi
आप नेता आतिशी और संजय सिंह। (Source-PTI)

कम वोट प्रतिशत 

आम आदमी पार्टी ने 2019 में हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन तब पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी और उसका वोट प्रतिशत भी काफी कम रहा था। इतने कम वोट प्रतिशत की वजह से आम आदमी पार्टी के लिए हरियाणा में एक मजबूत विकल्प बनना आसान नहीं होगा। 

लोकसभा चुनाव 2019 0.36%
लोकसभा चुनाव 2024 3.94%

कौन करेगा अभियान का नेतृत्व? 

बड़ा सवाल यह है कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व कौन करेगा? बीजेपी और कांग्रेस अपने बड़े चेहरों के दम पर विधानसभा चुनाव में कूद चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के हाथों पांच गारंटियों का ऐलान करके हरियाणा के लोगों को लुभाने की कोशिश की है। लेकिन केजरीवाल के जेल में होने की वजह से आप के चुनाव अभियान का नेतृत्व कौन करेगा, यह पार्टी के सामने एक बड़ा सवाल है। 

अग्निवीर, किसान आंदोलन प्रमुख मुद्दे 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बड़े मुद्दों के बारे में बात करेंगे तो इसमें अग्निवीर और किसान आंदोलन प्रमुख हैं। किसान लगातार एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद किसान एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में दूसरा बड़ा मुद्दा अग्निवीर का है और इन दोनों ही मुद्दों का संबंध सीधे तौर पर केंद्र सरकार से है। केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार चल रही है, ऐसे में बीजेपी के लिए ये मुद्दे एक बड़ी चुनौती की तरह हैं। 

Arvind Kejriwal AAP
कैसे खत्म होंगी आप की मुश्किलें?(Source- PTI)

जाट नेतृत्व का ना होना

जाट समुदाय हरियाणा में सबसे ताकतवर है। इस समुदाय की आबादी 25% के आसपास है। आम आदमी पार्टी की हरियाणा में चुनावी कमान सुशील गुप्ता के पास है। पार्टी के पास इस समुदाय से कोई लोकसभा या राज्यसभा सांसद भी नहीं है। 

हालांकि राज्य में सरकार चला रही बीजेपी ने भी मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पदों पर गैर जाट चेहरों को तवज्जो दी है लेकिन बीजेपी के पास राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला, पूर्व मंत्री किरण चौधरी, राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु जैसे जाट चेहरे भी हैं। कांग्रेस के पास भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट चेहरे के रूप में हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के पास ऐसा कोई चर्चित चेहरा नहीं है किसकी पूरे प्रदेश के अंदर पकड़ हो। 

सहयोगी दल का साथ नहीं होना 

आम आदमी पार्टी का हरियाणा में किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं है। यहां तक कि इंडियन नेशनल लोकदल ने भी बसपा के साथ चुनावी गठबंधन कर लिया है लेकिन राज्य में पहली बार पूरी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने उतरी आम आदमी पार्टी के पास कोई भी ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जिसके साथ वह चुनावी गठबंधन कर हरियाणा के अंदर कोई नया चुनावी समीकरण तैयार कर सके। निश्चित रूप से यह आम आदमी पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती की तरह ही है।