अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले से गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया है। ऐसा करने के लिए कोर्ट को अपना ही 50 साल पुराना एक ऐतिहासिक फैसला पलटना पड़ा है। पांच दशक पुराने उस मामले को ‘रो बनाम वेड’ (Roe v. Wade) के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रपति जो बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, प्रो-चॉइस आंदोलनकारी, प्रो-लाइफ आंदोलनकारी, हॉलीवुड स्टार्स और भी बहुत से लोग आज ‘रो बनाम वेड’ मामले को याद कर रहे हैं। आइए जानते हैं क्या था ये मामला…

कौन हैं रो और वेड ? : ये मामले सबसे अधिक ‘रो’ के नाम से चर्चित हुआ। 22 साल की उम्र में सुरक्षित गर्भपात का मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने वालीं नोर्मा मैककोर्वे को ही ‘रो’ के नाम से जाना जाता है। इस मामले में रो वादी थीं और वेड प्रतिवादी। ‘वेड’ डलास काउंटी (टेक्सास) के तत्कालीन जिला अटॉर्नी हेनरी वेड के नाम का हिस्सा है।

कैसे शुरू हुआ था केस : सन् 1971 में 22 साल की नोर्मा मैककोर्वे यानी रो गर्भपात कराने में नाकाम रहीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षित गर्भपात को आसान बनाने के लिए एक याचिका दायर की। साथ ही रो ने मांग रखी कि गर्भधारण और गर्भपात का फैसला महिलाओं का होना चाहिए, न कि सरकार का।

दो साल बाद 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने गर्भपात को न सिर्फ कानूनी मान्यता दी बल्कि राज्यों के उन कानूनों को भी रद्द कर दिया जो गर्भपात को अवैध मानते थे। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान महिलाओं को गर्भपात से जुड़ा फैसला लेने का अधिकार देता है। यह ऐतिहासिक फैसला दुनिया भर में गर्भपात कानूनों के लिए एक बेंचमार्क बन गया।

लाइफ बनाम चॉइस : कोर्ट के इस फैसले का अमेरिका में ही खूब विरोध हुआ। धार्मिक संस्थानों और रूढ़िवादी समूहों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। इस आंदोलन को ‘प्रो-लाइफ मूवमेंट’ के नाम से जाना जाता है। इस मूवमेंट से जुड़े लोग गर्भपात को भ्रूण हत्या से जोड़कर देखते हैं। उनका तर्क होता है कि भ्रूण कानूनी संरक्षण के योग्य मानवीय व्यक्ति है।

दूसरी तरफ महिलाओं और नारीवादियों द्वारा चलाया जाने वाला मूवमेंट है, जिसे ‘प्रो-चॉइस मूवमेंट’ कहा जाता है। यह मूवमेंट महिलाओं की पसंद पर जोर देता है और उनके चुनने की आजादी की वकालत करता है। यह मूवमेंट गर्भपात को भ्रूण हत्या नहीं मानता।

हालिया फैसले पर प्रतिक्रिया : सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि देश के लिए दुखद दिन है। करीब 50 साल पहले रो बनाम वेड का फैसला हुआ था। आज संयुक्त राज्य के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से अमेरिकी लोगों से एक संवैधानिक अधिकार छीन लिया। वहीं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि ये फैसला देश को पीछे की ओर ले जा रहा है। अमेरिका की जनता से संवैधानिक अधिकार छीन लिया गया है। यह एक हेल्थ केयर संकट है।