World News: पूरी दुनिया में गरीब कोरोना वायरस संक्रमण की मार से कराह रहे थे। इस बात का खुलासा विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में हुआ है। विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी वैश्विक गरीबी उन्मूलन के लिए सबसे बड़ा झटका रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, “दुनिया के साल 2030 तक अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना नहीं है क्योंकि इस दशक में आर्थिक विकास दर बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि वैश्विक गरीबी में कमी साल 2015 से धीमी हो रही है लेकिन कोविड महामारी और यूक्रेन में युद्ध ने परिणामों को पूरी तरह से उलट कर रख दिया है। 2015 तक वैश्विक गरीबी दर में आधे से अधिक की कटौती की गई थी, तब से वैश्विक आर्थिक विकास के साथ गरीबी में कमी की गति धीमी हो गई है। कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया में आई आर्थिक उथल-पुथल और बाद में यूक्रेन में युद्ध ने प्रगति में एकाएक उलटफेर पैदा कर दिया।

केवल 2020 में अत्यधिक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 70 मिलियन से अधिक की वृद्धि हुई। साल 1990 में वैश्विक गरीबी पर निगरानी शुरू होने के बाद से एक साल के दौरान ये सबसे बड़ा इजाफा रहा है। इसके परिणामस्वरूप अनुमानित 719 मिलियन लोग 2020 के अंत तक $ 2.15 प्रति दिन से कम पर अपना जीवन यापन कर रहे थे। दुनिया के सबसे गरीब लोगों ने महामारी की सबसे बड़ी कीमत चुकाई है। सबसे गरीब 40 प्रतिशत के लिए आय का नुकसान औसतन 4 प्रतिशत था, आय वितरण के सबसे धनी 20 प्रतिशत के नुकसान का दोगुना। परिणामस्वरूप कई दशकों के बाद पहली बार वैश्विक असमानता बढ़ी।

भारत के गरीबी के स्तर के बारे में क्या?

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भी गरीबी बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले अनुमानों ने 2017 में 1.90 अमेरिकी डॉलर की गरीबी रेखा 10.4 प्रतिशत पर गरीबी की संख्या का सुझाव दिया था। सिन्हा रॉय और वैन डेर वेइड (2022) पर आधारित नवीनतम अनुमान से पता चलता है कि 2017 में 1.90 अमेरिकी डॉलर की गरीबी रेखा 13.6 प्रतिशत थी।” हालांकि, रिपोर्ट सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा का उपयोग करती है, क्योंकि 2011 के बाद से गरीबी का कोई आधिकारिक अनुमान उपलब्ध नहीं है।

सुझाए गए समाधान क्या हैं?

विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास के अनुसार, “राजकोषीय नीति-विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल की गई और राजकोषीय स्थान के संदर्भ में प्रारंभिक देश की स्थितियों पर विचार करते हुए विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में नीति निर्माताओं के लिए गरीबी और असमानता के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने का मौका देती है।” निश्चित रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में औसत गरीबी दर बिना राजकोषीय प्रतिक्रिया के 2.4 प्रतिशत अंक अधिक होती। फिर भी सबसे धनी देशों में गरीबी में कमी के लिए सरकारी खर्च कहीं अधिक फायदेमंद साबित हुआ, जो आम तौर पर राजकोषीय नीति और अन्य आपातकालीन सहायता उपायों के माध्यम से गरीबी पर कोविड -19 के प्रभाव को पूरी तरह से ऑफसेट करने में कामयाब रहा।

विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के पास कम संसाधन थे और इसलिए उन्होंने कम खर्च किया और कम हासिल किया। ऊपरी-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाएं गरीबी के प्रभाव का केवल 50 प्रतिशत ऑफसेट करती हैं और निम्न और निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं केवल एक चौथाई प्रभाव की भरपाई करती हैं। जब राजकोषीय नीति की बात आती है तो विश्व बैंक के तीन विशिष्ट सुझाव हैं।

1: व्यापक सब्सिडी के बजाय लक्षित नकद हस्तांतरण चुनें।
2: लंबी अवधि के विकास के लिए सार्वजनिक खर्च को प्राथमिकता दें।
3: गरीबों को नुकसान पहुंचाए बिना कर राजस्व जुटाना।