Bangladesh Students Protest: बांग्लादेश ने ऐलान किया कि वह बुधवार से सभी पब्लिक और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को अनिश्चित काल के लिए बंद कर देगा। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें करीब 6 लोगों की जान जा चुकी है और 400 से ज्यादा घायल हो गए हैं।

दरअसल, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30 फीसदी रिजर्वेशन मिलता है। देश के युवा इसे खत्म करने की मांग करते रहे हैं। व्यापक विरोध के बाद 2018 में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नए आरक्षण नियम लागू कर इसे खत्म कर दिया था। हालांकि, 5 जून को ढाका हाई कोर्ट ने हसीना के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू किए जाने का आदेश दिया। इसके बाद से प्रदर्शन शुरू हो गए।

रविवार को पीएम शेख हसीना ने आग में घी डालने का काम किया और प्रदर्शनकारियों को रजाकार तक कहा। यह शब्द देशद्रोही की तरह ही है। इसके साथ उन्होंने और भी बहुत कुछ कहा था।

स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को मिलता है रिजर्वेशन

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियां इनकम का एक मुख्य सोर्स है। एपी के मुताबिक, लगभग 400,000 ग्रेजुएट्स हर साल लगभग 3,000 ऐसी नौकरियों के लिए कंप्टीशन करते हैं। 2018 तक 56 फीसदी सरकारी नौकरियां अलग-अलग कैटेगरी के लिए रिजर्व थी। इनमें से 30 फीसदी बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए रिजर्व थी। महिलाओं को 10 फीसदी आरक्षण मिला। आदिवासी समुदाय के लोगों को करीब 5 फीसदी और विकलांग लोगों के लिए 1 फीसदी आरक्षण मिला।

स्वतंत्रता सेनानियों का कोटा पहले से ही विवाद का विषय रहा है। कई लोगों का मानना था कि यह रिजर्वेशन हसीना की पार्टी अवामी लीग के लिए वफादार लोगों के लिए ही है। रिजर्वेशन वाले उम्मीदवारों के लिए विशेष पेपर, हर एक कैटेगरी के लिए अलग-अलग उम्र की सीमाएं और यह भी शामिल है कि कोटा सीटों में कई जगह खाली थीं। अप्रैल 2018 में स्टूडेंट्स और टीचर्स को इन शर्तों को हटाने और कुल आरक्षण को घटाकर 10 फीसदी करने की मांग को लेकर चार महीने लंबा विरोध प्रदर्शन किया। इसमें हिंसा भड़क उठी प्रदर्शनकारियों की बांग्लादेशी छात्र लीग और पुलिस के साथ झड़प हो गई। इंटरनेशनल लेवल पर विरोध के बाद हसीने ने भी रिजर्वेशन खत्म करने का ऐलान किया।

हाई कोर्ट ने पलटा सरकार का फैसला

5 जून 2024 को बांग्लादेश हाई कोर्ट ने खासतौर पर विवादास्पद 30 फीसदी स्वतंतत्रता सेनानियों के कोटे को निरस्त करने वाले 2018 के आदेश को पलटने का आदेश दिया। हालांकि, शुरुआती विरोध-प्रदर्शन जून में ही ढाका में नजर आने लगा था। लेकिन 17 जून को ईद-अल-अजहा के त्योहार के खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। पूरे देश में बंद का असर 7 जुलाई को देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय डिविजन ने एक महीने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

प्रदर्शन करने वाले लोगों ने इस बार सभी जगह से भेदभाव करने वाले रिजर्वेशन को हटाने और संविधान में तय की गई पिछड़ी आबादी के लिए कुल आरक्षण 5 फीसदी तक करने को लेकर संसद में एक विधेयक पारित करने की मांग की है। यह स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को मजबूत बनाने वाले कोटे को हटाने के बराबर है।

6 प्रदर्शनकारियों की जान गई

सोमवार को यह विरोध प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया और देशभर की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में रिजर्वेशन के लिए विरोध कर रहे लोगों और बीसीएल और पुलिस के बीच में झड़पें हुईं। इस हिंसक झड़प में तीन स्टूडेंट्स समेत 6 लोगों की जान चली गई। इसकी वजह से बांग्लादेश के सभी शिक्षण संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। गुरुवार को होने वाले पेपर को भी रद्द कर दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को बांग्लादेश सरकार से इस समस्या को शांति से हल करने का आग्रह किया। हालांकि, अभी तक स्थिति को संभालने के लिए बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने कुछ नहीं किया है। इसके बजाय उनकी बातों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि क्या स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चे और पोते होनहार नहीं हैं? क्या केवल रजाकारों के बच्चे और पोते ही होनहार हैं? पिछले कई सालों से हसीना की पार्टी अवामी लीग अक्सर अपनी सरकार के आलोचकों को रजाकार ही कहती रही है।

रजाकार को स्वयंसवेक के तौर पर जाना जाता है। यह साल 1971 में बनाया गया एक अर्धसैनिक बल था। इसका उद्देश्य इस्लामाबाद को पूर्वी पाकिस्तान पर कब्जा करने में मदद करना और अवामी लीग के नेतृ्त्व में चल रहे आंदोलन को रोकना था। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के साथ में मिलकर काम करते थे। इन सभी को पाकिस्तानी सेना और नौकरशाही से भी ज्यादा गुस्से के साथ याद किया जाता है। हालांकि, हसीना ने पहली बार कोई इस तरह का शब्द इस्तेमाल नहीं किया है बल्कि कई बार प्रदर्शनों के दौरान भी इन शब्दों को दोहराती रही हैं। विरोध प्रदर्शनों के दौरान यह नारा गूंजता रहा है कि तुम कौन हो? मैं कौन हूं? रजाकार, रजाकार।