Quad Summit India: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अब केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति में कई बड़े बदलाव आने वाले हैं। इसमें एक अहम भूमिका क्वॉड की होगी, जो कि पिछले चार साल से बस एक औपचारिकता वाला शिखर सम्मेलन बनकर रह गया था। अहम बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद पहला क्वॉल समिट भारत में होगा और यह चीन के लिए सर्वाधिक टेंशन की बात हो सकती है लेकिन कैसे चलिए इसे समझते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि भारत 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें नव-निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल होंगे। क्वाड शिखर सम्मेलन इस साल सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित होना था लेकिन नेताओं के सेट कार्यक्रम के चलते यह न्यूयॉर्क में हुआ था।

पिछली बार भारत में नहीं हो पाया था क्वॉड समिट
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में पूर्वी एशिया और ओशिनिया की वरिष्ठ निदेशक मीरा रैप-हूपर ने इस साल सितंबर में कहा था कि जब हम इस साल के क्वाड शिखर सम्मेलन की योजना बना रहे थे, तो भारत को इसकी मेजबानी करनी थी, लेकिन जब हमने इन चारों नेताओं के कार्यक्रमों को देखा, तो हमें यह स्पष्ट हो गया कि यह सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि वे मिलें और इन चर्चाओं के लिए उनके पास पर्याप्त समय हो, वह इस सप्ताहांत यहां अमेरिका में होगा। उन्होंने अगले साल इसके भारत में होने की बात कही थी।
क्या है QUAD, कौन-कौन देश हैं सदस्य?
अब एक बड़ा सवाल यह भी आ सकता है कि यह क्वॉड क्या हो, तो बता दें कि क्वॉड चार देशों का ग्रुप है, जिसके सदस्य देश भारत ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान हैं। इसका फुल फॉर्म Quadrilateral Security Dialogue है। यह एक ऐसा मंच है जो कि एशिया प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक सुरक्षा और आपसी सहयोग पर चर्चा होती है। इसका मुख्य मकसद इंडो पैसेफिक में समुद्री सुरक्षा को मजूबत करना है। वैसे तो यह 2007 में गठित हुआ था लेकिन 2008 में ऑस्ट्रेलिया इससे अलग हो गया था।
अमेरिका और ईरान के बीच खत्म होगा तनाव?
क्वॉड 2017 में दोबारा तब एक्टिव हुआ जब ऑस्ट्रेलिया की इसमें वापसी हुई। यह वह दौर था जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी और चीन के साथ ट्रेड वॉर की स्थिति थी। इसका नतीजा ये हु था कि चीन इंडो पैसेफिक में अपना प्रभुत्व मजबूत करने की कोशिश कर रहा था। इसीलिए चीन के खिलाफ भारत के साथ अमेरिका खुलकर खड़ा रहता था और यह दौर तब तक जारी रहा था।
ट्रंप ने सेट किया था क्वॉड का चीन विरोधी एजेंडा
डोनाल्ड ट्रंप ने ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के साथ मिलकर चीन की मुश्किलें बढ़ा दी थी। यहीं से चाइना प्लस वन पॉलिसी का भी जन्म हुआ था, क्योंकि ज्यादातर मुल्क पूरी दुनिया चीन के सप्लाइ चेन के एकाधिकार और निम्न गुणवत्ता वाले सामान से परेशान थे। ऐसे में चाइना प्लस पॉलिसी की तहत यूरोप से लेकर कई पश्चिमी देश चीन पर पूरी निर्भरता नहीं रख रहे थे। इसका फायदा भारत ने उठाया था, क्योंकि चीन के साथ ट्रेड वॉर की स्थिति में कई पश्चिमी कंपनियां जो कि चीन से ऑपरेट करती थीं उन्होंने भारत का रुख किया था।
बाइडेन के आने से ठंडा पड़ गया था क्वॉड
कोरोना काल के दौरान तो चीन के खिलाफ इसी क्वॉड ने जंग छेड़ रखी थी और डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर कोरोना को चाइनीज वायरस करार दिया था। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के हटने और बाइडेन के सरकार संभालने के साथ ही चीन ने राहत की सांस ली थी, और धीर-धीरे क्वॉड भी ठंडा पड़ गया था।
ट्रंप और जो बाइडेन की मुलाकात में क्या-क्या हुआ?
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार यह भी कहते हैं कि बाइडेन की चीन के साथ अच्छी बनती थी, जिसके चलते अमेरिकी प्रशासन चीन के खिलाफ महज दिखावटी बयान ही देता रहा। वहीं यह भी कहा जाता है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप की 2020 के चुनाव में ही वापसी होती तो कोरोना को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका कुछ बड़े एक्शन भी ले सकता था लेकिन ऐसा कुछ हो न सका.
ट्रंप की वापसी से चीन की मुसीबत
अब जब डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई है और वे जनवरी में सत्ता संभालने वाले हैं तो माना जा रहा है कि एक बार फिर चीन की मुसीबतें वैश्विक मोर्चों पर बढ़ सकती हैं, क्योंकि क्वॉड दुनियाभर में एक बार फिर चीन से इतर एक सप्लाई चैन बना सकता है। एक तरफ जहां 2020 में ठंडा पड़ा चीन के साथ अमेरिका का ट्रेड वॉर फिर शुरू हो सकता है, तो दूसरी ओर इंडो पैसेफिक में भारत जापान जैसे देशों का डॉमिनेंस चीन को टेंशन दे सकता है।
अहम यह देखना भी होगा कि भारत में 2025 में होने वाले क्वॉड समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख क्या रहता है, क्योंकि वह भारत चीन रिश्तों के लिहाज से भी अहम है। इसकी वजह यह है कि क्योंकि क्वॉड की एक अघोषित नीति ही चीन को काउंटर करने की रही है। ऐसा वक्त जब 5 साल बाद चीन से भारत के संबंध एलएसी पर सुधरे हैं तो यह देखना होगा कि जब क्वॉड समिट में चीन को झटका देने की प्लानिंग को अमली जामा पहनाया जाएगा तो चीन का भारत के लिए क्या रुख रहता है।
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