पैंगोंग त्सो पर दूसरा बड़ा पुल बनाकर चीन सामरिक बढ़त लेने की फिराक में है। विदेश मंत्रालय की स्वीकरोक्ति के बाद ये बात साफ हो चुकी है। ऐसा लग रहा है कि जनवरी में जो पहला पुल चीन ने बनाया था उसके निर्माण की वजह दूसरा पुल ही था। पहले ब्रिज की वजह से ही चीन को दूसरा ब्रिज बनाने में आसानी हो रही है। लेकिन भारत के लिहाज से ये चिंता का विषय है, क्योंकि इससे चीनी सेना आसानी से मूव कर सकेगी।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पैंगोंग झील पर बनने वाला दूसरा पुल इतना चौड़ा है कि वहां से चीनी सेना के बड़े-बड़े वाहन व आर्टिलरी गुजर सकती है। चीन दोनों पुलों का दुरुपयोग भारत के खिलाफ करेगा। ब्रिज की लोकेशन पैंगोग त्सो लेक के उत्तरी किनारे से फिंगर 8 से 20 किमी पूर्व में है। ये पहले ब्रिज के नजदीक ही बन रहा है। ये LAC के गुजरने वाली जगह पर बन रहा है। ब्रिज की फिंगर 8 से सड़क मार्ग की दूरी तकरीबन 35 किमी है।
इसकी कंस्ट्रक्शन साईट खुरनक फोर्ट के पास है। ये एक पुराना किला है, जो तकरीबन जर्जर हो चुका है। चीन ने यहां अपनी सेना भी तैनात कर रखी है। इसमें कोई शक नहीं कि चीन अपनी सेना व हथियारों की आवाजाही के लिए ही इसका इस्तेमाल करेगा। दोनों पुलों की वजह से चीनी सेना की आवाजाही लेक के उत्तरी व दक्षिणी किनारों पर होगी। पहला पुल 400 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा था। दूसरी ब्रिज पहले वाले के बगल में ही है। चीन जिस इलाके में इसका निर्माण कर रहा है 1958 से वो इलाका चीन के कब्जे में ही है।
135 किमी लंबी पैंगोंग त्सो झील का तकरीबन 45 किमी भारत के कब्जे में है जबकि बाकी पर चीन का कंट्रोल है। मई 2020 में खूनी संघर्ष के बाद 3488 किमी लंबी LAC के इर्द गिर्द दोनों ही देश तेजी से निर्माण कर रहे हैं। भारत का दावा है कि वो भी सड़कों का जाल इस इलाके में तेजी से बिछा रहा है। लेकिन चीन की स्थिति ज्यादा मजबूत लगती है। दूसरे पुल की वजह से चीन की सेना 12 घंटे की दूरी 4 घंटे में तय कर लेगी।
हालांकि, जून 2020 में हुए संघर्ष के बाद दोनों ही देशों की सेना पीपी 14 से पीछे हट चुकी है। उसके बाद से दोनों के सैन्य कमांडरों के बीच 15 बार बात हो चुकी है। आखिरी बार दोनों मार्च में मिले थे। लेकिन LAC पर स्थिति तनावपूर्ण ही है। दोनों देशों ने हवाई ताकत के साथ जमीन पर लड़ी जाने वाली लड़ाई को लेकर तैयारी कर रखी। दोनों तरफ से 50-50 हजार सैनिक यहां तैनात हैं। लेकिन चीन ने सेना के साथ सिविलियनों को भी यहां पर बसा रखा है। चीनी सेना भारत के सैनिकों को पीपी 10, 11, 12, 13 तक गश्त करने से भी रोकती है।
लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील पर चीन के दूसरा पुल बनाने की खबर के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो स्थिति की निगरानी कर रहा है। मंत्रालय ने ये भी कहा कि यह भारतीय सेना से जुड़ा मुद्दा है। हम इसे चीन के कब्जे वाला क्षेत्र मानते हैं। MEA के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उन्होंने पुल पर रिपोर्ट देखी है। ये चीन के कब्जे वाला क्षेत्र है। भारत सारे घटनाक्रम पर नजर के साथ सावधानी भी रख रहा है।