Maldives President Mohamed Muizzu: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भारत के प्रति सुर बदल गए हैं। मुइज्जू ने कहा कि उन्होंने कभी भी ‘इंडिया आउट’ नीति का पालन नहीं किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने का आदेश दिया, क्योंकि विदेशी सेना की मौजूदगी गंभीर समस्या है और उनके देश के लोग विदेशी सैनिक अपनी जमीन पर नहीं चाहते हैं। मुइज्जू ने ये बातें अपने भारत दौरे के कुछ समय पहले कही हैं। मालदीव के राष्ट्रपति अगले महीने, अक्टूबर में दिल्ली आ सकते हैं।

मुइज्जू ने मालदीव के समाचार पोर्टल adhadhu.com से बातचीत में कहा, ‘हम कभी भी किसी एक देश के खिलाफ नहीं रहे हैं। हमने कभी इंडिया आउट की बात नहीं की लेकिन ये बात है कि मालदीव के लोग अपनी जमीन एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते और इस भावना का हमने सम्मान किया। मोहम्मद मुइज्जू इस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं।

मुइज्जू की आधिकारिक यात्रा जो सितंबर में नपीं हो सकी थी। अब अगले महीने की योजना बनाई जा रही है। सूत्रों ने कहा कि यह अक्टूबर के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में हो सकती है। हालांकि, दोनों पक्ष अभी भी सबसे अच्छी पारस्परिक रूप से सुविधाजनक उपलब्ध तिथियों पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।

मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा भारत के खिलाफ सार्वजनिक आलोचना को नरम करना उनकी यात्रा के लिए माहौल तैयार कर रहा है। उनकी यह टिप्पणी अमेरिका में की गई। जहां वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए गए हैं। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के ‘डीन्स लीडरशिप सीरीज’ में बातचीत में मुइज्जू ने कहा कि उप मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान करना गलत था ।

मालदीव के समाचार पोर्टल adhadhu.com अनुसार उन्होंने कहा, “किसी को भी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। मैंने इसके खिलाफ़ कार्रवाई की है। मैं किसी का भी इस तरह अपमान नहीं करूंगा, चाहे वह नेता हो या आम आदमी। हर इंसान की अपनी प्रतिष्ठा होती है।”

इस वर्ष के प्रारंभ में उप युवा मंत्री मालशा शरीफ और मरियम शिउना ने सोशल मीडिया पोस्ट में मोदी को अपशब्द कहे थे। इस घटना के बाद दोनों को सवेतन निलंबित कर दिया गया था, जिसके कारण मालदीव और भारत के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। हालांकि, दोनों ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया, जिस दिन राष्ट्रपति मुइज़ू ने इस साल जून में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आने की घोषणा की थी।

भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर मुइज़ू ने कहा, “हम कभी भी किसी एक देश के खिलाफ़ नहीं रहे हैं। मालदीव को अपनी धरती पर विदेशी सैन्य उपस्थिति के कारण गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। मालदीव के लोग देश में एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते हैं।”

इस साल की शुरुआत में चीन की अपनी द्विपक्षीय यात्रा के बाद मुइज़ू ने भारत का नाम लिए बिना उसे धमकाने वाला देश बताया था। उन्होंने कहा था, “हम भले ही एक छोटे देश हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।”

अमेरिका में मालदीव के राष्ट्रपति की नई टिप्पणी नई दिल्ली और माले के बीच रक्षा वार्ता के कुछ सप्ताह बाद आई है, जहां उन्होंने “चल रही रक्षा सहयोग परियोजनाओं” और “आगामी द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों” पर चर्चा की थी।

मुइज्जू की नई दिल्ली यात्रा भारत की एक स्वतंत्र द्विपक्षीय यात्रा होगी, इससे कुछ महीने पहले वे 9 जून को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए थे। इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले वर्ष राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत पदभार ग्रहण करने के बाद से भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई है।

नवंबर 2023 में सत्ता में आने के तुरंत बाद मुइज़्ज़ू ने भारत से अपने देश से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया। गतिरोध का सामना करते हुए, दोनों देश इस वर्ष 2 फरवरी को इस बात पर सहमत हुए थे कि भारत 10 मार्च से 10 मई के बीच मालदीव में तैनात अपने 80 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लेगा।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मालदीव में दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान का संचालन “सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों” द्वारा किया जाएगा, जो “वर्तमान कर्मियों” का स्थान लेंगे। कार्मिकों के प्रतिस्थापन का कार्य पूरा होने के बाद, मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने इस वर्ष मई में दिल्ली का दौरा किया।

एक महीने बाद, राष्ट्रपति मुइज्जु प्रधानमंत्री मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए थे। अगस्त में विदेश मंत्री एस जयशंकर साझेदारी को गहरा करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए माले गए थे। उन्होंने मालदीव को “हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति के आधार स्तंभों में से एक बताया, यह हमारे विजन सागर में से एक है, साथ ही ग्लोबल साउथ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी है। इसे मेरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में संक्षेप में कहें तो – भारत के लिए पड़ोस एक प्राथमिकता है और पड़ोस में मालदीव एक प्राथमिकता है। हम इतिहास और रिश्तेदारी के सबसे करीबी बंधन भी साझा करते हैं।”

(शुभाजीत रॉय)