अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि चीन यूके्रनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे रूस को मदद मुहैया कराने का फैसला करता है, तो बेजिंग के लिए इसके कुछ निहितार्थ और परिणाम होंगे। वाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बातचीत में जिनफिंग ने स्पष्ट किया कि अमेरिका और चीन के बीच मतभेद रहे हैं और हमेशा रहेंगे, लेकिन इन मतभेदों को नियंत्रण में रखना बेहद मायने रखता है। अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने सहित उन उपायों के बारे में बताया, जिनका मकसद हमले रोकना और उनका जवाब देना है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर चीन ने यूके्रन पर हमला कर रहे रूस की मदद की तो इसके क्या निहितार्थ और परिणाम हो सकते हैं।
हालांकि, बाद में बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से यह बताने से इनकार कर दिया कि मास्को के करीबी सहयोगी बेजिंग के लिए इसके क्या नतीजे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां सार्वजनिक तौर पर हमारे विकल्पों को साझा नहीं करने जा रहा। इस दौरान बाइडेन ने जिनपिंग को बताया कि ‘हम यहां कैसे पहुंचे, हमने क्या कदम उठाए, हम क्यों इस हद तक गए।’ बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि बातचीत एकदम स्पष्ट थी और इस दौरान बाइडेन ने जिनपिंग को पुतिन के कदमों को लेकर अमेरिकी आकलन से अवगत कराया।
अधिकारी ने कहा कि बातचीत के दौरान जिनपिंग ने जहां ताइवान का मुद्दा उठाया, वहीं बाइडेन ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपनी एक-चीन नीति पर अडिग है और ताइवान संबंध अधिनियम, तीन संयुक्त शासकीय सूचनाओं व छह आश्वासनों का पालन कर रहा है। अधिकारी के मुताबिक, बाइडेन ने ताइवान खाड़ी में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की अहमियत पर भी जोर दिया।
वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बातचीत में जिनफिंग ने स्पष्ट किया कि अमेरिका और चीन के बीच मतभेद रहे हैं और हमेशा रहेंगे, लेकिन इन मतभेदों को नियंत्रण में रखना बेहद मायने रखता है। बयान में जिनपिंग के हवाले से कहा गया है कि चीन यूके्रन में हालात को इस कगार पर आते नहीं देखना चाहता है। चीन शांति का समर्थक है और युद्ध का विरोध करता है। यह भावना चीन के इतिहास और संस्कृति में पिरोई हुई है।
जिनपिंग ने कहा कि सभी पक्षों को संवाद और सुलह-समझौता करने में रूस और यूके्रन का मिल कर समर्थन करना चाहिए, जिससे क्षेत्र में शांति सुनिश्चित हो सकेगी। अमेरिका और नाटो को भी यूके्रन संकट पर रूस से बातचीत करनी चाहिए, ताकि रूस और यूके्रन की सुरक्षा चिंताएं दूर हो सकें।