अगले 24 घंटों के भीतर अमेरिका का नया राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा। रिपब्लिकन उम्मीदवार डाेनाल्ड ट्रंप और डेमाेक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन में से कोई एक, दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्र का प्रमुख बनेगा। इस चुनाव से न सिर्फ वैश्विक समीकरण बदलने के आसार हैं, बल्कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में भी आमूल-चूल बदलाव आने की आशंका है। वित्तीय विशेषज्ञों ने डर जताया है कि ट्रंप की जीत उभर रहे बाजारों जैसे- भारत के लिए नकरात्मक साबित होगी। इससे सोने और विकसित दुनिया के बॉन्ड्स की मांग में इजाफा होगा। वर्तमान में इसी बात पर उतार चढ़ाव जारी है कि अगर हिलेरी क्लिंटन जीत जाती हैं और ट्रंप ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वह नतीजे मानेंगे या नहीं। एक आर्थिक विशेषज्ञ के अनुसार, ”यह रिस्क लेने का सही समय नहीं है।” सोमवार को जब एफबीआई ने क्लिंटन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज करने से इनकार किया तो ज्यादातर बाजारों में उछाल देखा गया। इससे क्लिंटन की जीत की संभावना प्रबल होती दिख रही है। आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2016 के परिणाम का भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
वीडियो से समझिए, कैसे चुना जाता है अमेरिका का राष्ट्रपति:
चुनाव का असर अमेरिका-रूस और अमेरिका-चीन के रिश्तों पर पड़ सकता है, इन दोनों देशों को लेकर हिलेरी और ट्रंप, दोनों का रुख प्रचार के दौरान आलोचनात्मक रहा है। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति इन दोनों देशाें के साथ कैसे संंबंध बनाकर चलेगा, इस बात का असर भारत के चीन व रूस से रिश्तों पर भी पड़ सकता है। ट्रंप ने चीन को ‘पूरी व्यापारिक कमी के लगभग आधे’ के लिए जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी तरफ क्लिंटन पहले से ही चीन की कड़ी आलोचक रही हैं। हिलेरी ने चीन की परिवार नियोजन नीति, 1996 के बाद मानवाधिकार रिकॉर्ड तथा इंटरनेट की आजादी पर लगाम लगाने की तीखी आलोचना की थी। ऐसे में अगर हिलेरी चुनी जाती हैं तो चीन को बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति काल जैसी स्थितियों से दो-चार होना पड़ सकता है, हालांकि ट्रंप के मुकाबले हिलेरी का रवैया चीन के प्रति ज्यादा सौहार्दपूर्ण हैं। भारत के लिहाज से देखें तो ट्रंप की जीत में ज्यादा फायदा है क्योंकि इससे अमेरिका चीन को छोड़कर बाकी एशियाई सहयोगियों के साथ हो जाएगा, भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते हाल के वर्षों में बेहतर हुए हैं।
जहां तक रूस का सवाल है, तो उस पर चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लग चुका है। ट्रंप पर रूस के साथ करीबी रिश्ते होने के आरोप लगे हैं, जिसका उन्होंने खंडन किया है, लेकिन उन्होंने पुतिन के नेतृत्व के तरीके की तारीफ की है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि वह रशियन नेता के साथ करीबी रिश्ते चाहते हैं। जबकि क्लिंटन चुनावों में रूस की कथित संलिप्तता को लेकर आलोचनात्मक रही हैं। सीरिया में रूस की कार्रवाई पर भी हिलेरी ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि यूराेप में संघर्ष का ज्यादा असर भारत पर नहीं पड़ेगा, मगर अमेरिका-रूस के बीच बेहतर रिश्ते भारत के लिए अच्छे रहेंगे। आतंकवाद पर रूस-अमेरिका के एक साथ आकर लड़ने से वैश्विक स्तर पर इस दानव से निपटने में मदद मिलेगी।
चीन को लेकर अमेरिका की जो भी पोजिशन हो, यह भारत के हित में रहेगा। चूंकि चीन के साथ हमारे रिश्ते मुश्किल भरे हैं और दक्षिण एशिया में जितनी तेजी से चीन ने कब्जा जमाया है, भारत को भी उन सभी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने होंगे। भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था के लिए, अमेरिका की व्यापार और वैश्विक समझौतों पर पकड़, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक पर प्रभुत्व भारत के हित में है।