तालिबान को लेकर विश्व समुदाय के स्टैंड बदलते हुए दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरफ से जारी ताजा बयान में तालिबान का नाम आतंकी गतिविधियों से हटा दिया गया है। गौरतलब है कि इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत कर रहा है। इधर तालिबान की तरफ से भी भारत के साथ राजनीतिक और कारोबारी संबंध बनाए रखने के संकेत मिले हैं।

तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भारत को क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश बताते हुए कहा है कि तालिबान भारत के साथ अफगानिस्तान के व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है। स्तानिकजई ने पश्तो भाषा में जारी एक वीडियो संबोधन में कहा कि काबुल में सरकार बनाने के लिए विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है, जिसमें ‘‘विभिन्न क्षेत्रों’’ के लोगों का प्रतिनिधित्व होगा।

बीजेपी सांसद ने केंद्र पर साधा निशाना: तालिबान को लेकर बदलते महौल के बीच बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत तालिबान का वर्णन करने के लिए आतंकवादी शब्द को हटाने के बाद कल यूएनएससी में अफगानिस्तान पर एक प्रस्ताव का संचालन करने जा रहा है। पहले से ही घुटने टेकने की शुरुआत हो रही है?

इधर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण भारत के लिए चुनौती हैं जिसे लेकर उसे अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा और क्वाड पहल ने इसे रेखांकित किया है। सशस्त्र बलों में संयुक्त कमान समेत ढांचागत सुधारों पर उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) के गठन पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है क्योंकि युद्ध के दौरान तत्काल निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण पहलू है। इससे पहले रक्षा मंत्री ने शनिवार को कहा था कि वर्तमान समय में ‘‘अनिश्चितताओं और उथल-पुथल’’को देखते हुए भारत को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।