Thailand Political Crisis: भारत के पड़ोस में यानी बांग्लादेश में हाल ही में तख्तापलट हुआ है और वहां अभी भी हिंसा की स्थिति बनी हुई है। दूसरी ओर अब एशिया के एक और देश यानी थाईलैंड में भी राजनीतिक संकट की स्थिति बनती नजर आ रही है, क्योंकि देश की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को ही उनके पद से हटा दिया है। खास बात यह है कि एक हफ्ते पहले ही कोर्ट ने अपने आदेश में देश के मुख्य विपक्षी दल को भी भंग करने का फैसला सुनाया था।
विपक्षी दलों के खिलाफ फैसला देने के बाद अब कोर्ट ने पीएम थाविसिन को कोड ऑफ एथिक्स मामले में दोषी पाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे पीएम थाविसिन की मुसीबत तो बढ़ी ही हैं, साथ ही देश में एक नया राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। पीएम पर आरोप था कि उन्होंने जज को रिश्वत देने के आरोप में जेल की सजा काट चुके एक नेता को मंत्री के तौर पर नियुक्त किया था, जो कि नैतिकता की संहिता के आधार पर दोषपूर्ण था।
Thailand की संसद चुनेगी नया प्रधानमंत्री
थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने 5-4 के डिवीजन से फैसला सुनाया। ऐसे में जब तक संसद द्वारा नया पीएम नहीं चुना जाता है, तब तक उनकी कैबिनेट कार्यवाहक सरकार के तौर पर काम करती रहेगी। वहीं जब संसद नया पीएम चुन लेगी तो फिर उसके अनुसार मुल्क की कैबिनेट में भी बदलाव किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने नया पीएम चुनने के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं तय की है।
Thailand PM के खिलाफ क्यों हुआ इतना बड़ा फैसला?
किसी भी देश के प्रधानमंत्री का कोर्ट द्वारा बर्खास्त किाय जना एक बेहद विचित्र घटना है, जिसके चलते यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि कोर्ट को इतना बड़ा निर्णय लेना पड़ा, तो बता दें कि यह मामला एक मंत्री की नियुक्ति से जुड़ा है। अप्रैल में अपने कैबिनेट रीशफल में पीएम थाविसिन ने पिचिट चुएनबान को पीएम ऑफिस में मंत्री के तौर पर नियुक्ति दी थी और यहीं नियुक्ति उन पर भारी पड़ी।
पीएम थाविसिन पर गिरी गाज की वजह यह थी कि उनके द्वारा मंत्री नियुक्त किए गए पिचिट पर साल 2008 में एक कोर्ट ने अपनी अवमानना का केस चलाते हुए सजा के तौर पर उन्हें 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। आरोप यह भी था कि पूर्व पीएम से जुड़े एक मामले में पिचिट ने, कोर्ट के एक जज को 55,000 डॉलर की रिश्वत देने का प्रयास किया था।
हालांकि, जब उनकी नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ा था तो उन्होंने हफ्ते भर के अंदर ही इस्तीफा दे दिया था। पिचिट 2008 के उस मामले में सजा भुगत चुके हैं, लेकिन कोर्ट का कना है कि उनका व्यवहार आपत्तिजनक और बेईमानी वाला है। इसके चलते उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना था।