आतंकी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। न्यूयॉर्क के भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बताया कि तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया था। इस आवेदन को जस्टिस कागन ने छह मार्च को खारिज कर दिया था।

पाकिस्तानी मूल का 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा वर्तमान में लॉस एंजिलिस के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसने 27 फरवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट न्यायाधीश और नौवें सर्किट की सर्किट न्यायाधीश एलेना कागन के समक्ष “बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन” प्रस्तुत किया था।

पिछले महीने की शुरुआत में कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद राणा ने अपने इस आवेदन को रिन्यू किया तथा अनुरोध किया कि रिन्यूड आवेदन प्रधान न्यायाधीश रॉबर्ट्स को भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट एक आदेश में कहा गया है कि राणा के रिन्यू आवेदन को चार अप्रैल 2025 की बैठक के लिए लिस्ट किया गया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस में कहा गया, “कोर्ट ने आवेदन अस्वीकार कर दिया है।” 

Tahawwur Rana Extradition: कौन है तहव्वुर राणा?

किन मामलों में दोषी है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा को डेनमार्क में आतंकवादी साजिश में सहायता करने से जुड़े एक मामले में और मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद करने के एक मामले में अमेरिका में दोषी ठहराया गया था। लश्कर मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार है।

अपनी आपात याचिका में तहव्वुर राणा ने अनुरोध किया कि जब तक अमेरिका में चल रहा मुकदमा लंबित है, तब तक भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। उसने 13 फरवरी को दाखिल की गई याचिका को उसके गुण-दोष के आधार पर स्थगित रखने की मांग की थी। उस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाना अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध ‘संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ का उल्लंघन है, “क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता को यातना दिए जाने का खतरा होगा।”

याचिका में कहा गया, “इस मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का एक मुस्लिम है।” याचिका में यह भी कहा गया है कि उसकी ‘गंभीर चिकित्सा स्थिति’ के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में ‘वास्तव में’ मौत की सजा है।  (इनपुुट – ANI / भाषा)

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