Tahawwur Rana Extradition From America: 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा अब भारत लाया जाएगा, अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। लंबे समय से भारत को तहव्वुर राणा का इंतजार था, लेकिन किसी ना किसी कानूनी दांव-पेच की वजह से वो बच जाता, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही भारत को यह बड़ी जीत मिल गई है। अमेरिकी कोर्ट ने तहव्वुर की प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।
तहव्वुर राणा के हारने की कहानी
असल में इससे पहले राणा अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में हार चुका था, उसी वजह से खुद को बचाने के लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से ही मना कर दिया और भारत को दुश्मन को सबसे बड़ा झटका लगा। इस समय तहव्वुर राणा लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में है।
कौन है आतंकी तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा डेविड हेडली का बचपन का दोस्त था। हेडली को अमेरिका के अधिकारियों ने अरेस्ट किया था और मुंबई हमलों में शामिल होने के लिए उसे 35 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। राणा ने पाकिस्तान के हसन अब्दल कैडेट स्कूल में पढ़ाई की थी। वहां पर हेडली ने भी पांच साल तक पढ़ाई की थी। पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम करने के बाद राणा कनाडा चला गया और आखिरकार उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई। बाद में उसने शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म की स्थापना की।
26/11 मुंबई हमले में राणा की क्या भूमिका?
मुंबई में इस कारोबार की एक ब्रांच ने हेडली को पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के टारगेटों की पहचान करने और उन पर निगरानी रखने के लिए बेहतरीन कवर दे दिया। 26/11 के हमलों में 26 नवंबर, 2008 को 10 लश्कर आतंकवादियों ने मुंबई में धावा बोला और लगातार तीन दिनों तक शहर आतंक की चपेट में रहा। हिंसा में 6 अमेरिकियों समेत 166 लोगों की जान चली गई। वैसे आज भी कई लोगों के मन में सवाल आता है, आखिर मुंबई हमले को कैसे अंजाम दिया गया था, जवाब जानने के लिए यहां क्लिक करें