रूस इस समय युद्ध लड़ रहा है, सिर्फ यूक्रेन से नहीं, अपनों से भी। इन अपनों में पहले तो सिर्फ वहां के नागरिक शामिल थे, लेकिन अब सेना भी जुड़ गई है। ये कोई रूस की आधिकारिक सेना नहीं है, यानी कि वो वाली सेना जो सामने से आकर बयान जारी करती है, जिसे टीवी पर देख लोग सलाम ठोकते हैं। इस सेना का नाम है वागनर जिसका चीफ प्रिगोझिन येवगेनी रूस का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है, कह सकते हैं कि पुतिन के लिए सबसे बड़ा सियासी खतरा बन चुका है।

पुतिन से क्या शिकायत है?

असल में प्रिगोझिन येवगेनी ने बगावती तेवर दिखा दिए है। रूस का ये प्राइवेट आर्मी वाला लड़ाका अप पुतिन की हुकूमत को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। उसका ऐसा सोचने के अपने कारण हैं। बताया जा रहा है कि इसकी सेना ने यूक्रेन में भीषण युद्ध लड़ा, उसके कई जवान मारे गए। लेकिन ना रूस ने उन्हें कोई तवज्जो दी, ना समय रहते हथियार मिले और ना सैनिकों को मिलने वाली दूसरी जरूरतों का ध्यान रखा गया। इसी वजह से वागनर का ये चीफ नाराज हो गया। उसे लगने लगा कि सैनिक यहां मर रहे हैं और दूर बैठी पुतिन सरकार को कोई फ्रिक ही नहीं। इसी वजह से उसने अपनी यूक्रेन से सेना वापस बुलवा ली और अब पुतिन को राष्ट्रपति कुर्सी से हटाना चाहता है।

कौन है ये प्रिगोझिन येवगेनी?

प्रिगोझिन येवगेनी का जन्म एक जून, 1961 को Leningrad में हुआ था। शुरुआती जीवन में येवगेनी एक सफल बिजनेसमेन था। उसने उद्योगपति के रूप में ऐसी पहचान बना ली थी, सरकार का हर बड़ा मंत्री उसका करीबी था। लेकिन ये उसकी वो कहानी है जो प्रिगोझिन येवगेनी खुद बताना चाहता है। लेकिन सच्चाई ये है कि बगावती तेवर दिखाने वाले इस लड़ाके की जुर्म वाली दुनिया से भी अच्छी पहचान है।

13 साल की जेल और फिर उद्योगपति बनने की कहानी

बताया जाता है कि सफल उद्योगपति बनने से पहले 13 साल के करीब इसने जेल में भी काटे थे। 1980 येवगेनी की जिंदगी का वो दौर था, जब उस पर चोरी के कई आरोप लगे थे। उसी वजह से उसे 13 साल के लिए जेल जाना पड़ गया। जब उसकी रिहाई हो गई, उसने सेंट पीटर्सबर्ग में हॉट डॉग बेचने वाले कई स्टॉल खोले। इन छोटे स्टॉल्स ने उसे बड़ा उद्योगपति बनने की नींव दे दी थी। इसके बाद देखते ही देखते प्रिगोझिन नए रेस्टोरेंट की झड़ी लगा दी। उसने कई बड़े आउटलेट खुले और उसी वजह से उसकी पहचान बड़े लोगों से होने लगी।

पुतिन का शेफ कैसे बन गया?

अब एक कहानी ये चलती है कि प्रिगोझिन जिस रेस्टोरेंट को चलाते थे, वहां पर लगातार रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपने विदेशी मेहमानों के साथ आते थे। वहीं से शायद जान पहचान बनना शुरू हो गया और देखते ही देखते उसकी कंपनी कॉनकॉर्ड को क्रेमलिन में खाना बनाने का काम मिल गया। तब से उसे पुतिन के शेफ का तमगा दे दिया गया। अब जो पुतिन का शेफ बन जाए, उसकी सियासी पकड़ कितनी मजबूत बन गई होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।

पुतिन का विदेशों में राइट हैंड और वागनर सेना की अगुवाई

लेकिन जैसा प्रिगोझिन का व्यक्तित्व था, उसने लंबे समय तक खुद को राजनीति से दूर ही रहा,पैसा जरूर भरपूर कमाता रहा। लेकिन बाद में जब उसकी पुतिन के साथ दोस्ती बढ़ गई, उसे राष्ट्रपति का विदेशों में राइट हैंड कहा जाने लगा। तब वागनर ग्रुप जो एक प्राइवेट मिलिट्री आर्मी है कि शुरुआत हो गई थी। कुछ समय बाद ही वैगनर इसका मालिक बन गया। पिछले साल ही सार्वजनिक रूप से वो सामने भी आ गया था। माली, सूडान, लीबिया जैसे कई देशों में इसने अपनी प्राइवेट आर्मी का नेतृत्व किया। अफ्रीकी देशों में तो इसने काफी तेजी से अपनी पकड़ बनाई।

यानी कि वागनर का चीफ बनते ही पुतिन के लिए प्रियोझिन की अहमियत काफी बढ़ गई थी। इसी वजह से वे हर बड़े मिशन पर उसका इस्तेमाल कर रहे थे। अभी चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध में भी इसने सक्रिय भूमिका निभाई। लेकिन अब यही प्रियोझिन नाराज है, इतना खफा हो गया है कि पुतिन को ही राष्ट्रपति कुर्सी से हटाना चाहता है।