भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं 11 अगस्त से आस्ट्रेलिया के तट के पास मालाबार सैन्य अभ्यास कर रही हैं। 21 साल से जारी यह सैन्य अभ्यास पहली बार भारत से दूर कहीं हो रहा है। आस्ट्रेलिया के जहाजों के साथ जापान, अमेरिका और भारत के नौसैनिक जहाज सिडनी के पास अभ्यास कर रहे हैं। वर्ष 1992 से जारी मालाबार युद्धाभ्यास इस बार आस्ट्रेलिया के समुद्र में हो रहा है, जो कि पहली बार है। ये चारों देश क्वाड में भी साझीदार हैं, लेकिन मालाबार अभ्यास में आस्ट्रेलिया और जापान का आना-जाना लगा रहा है। इसी साल क्वाड देशों के नेता जापान में मिले थे।

वर्ष 2008 में आस्ट्रेलिया ने खुद को मालाबार अभ्यास से अलग कर लिया था और एक दशक से ज्यादा समय तक उससे बाहर रहा, लेकिन 2020 में वह दोबारा इस अभ्यास में शामिल हुआ। इस बार यह अभ्यास उसकी समुद्री सीमा में आयोजित किया गया है। आस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स के मुताबिक, मौजूदा रणनीतिक हालात में यह पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने पड़ोसियों के साथ साझीदारी करें और अपने रक्षा सहयोग और ज्यादा मजबूत करें। सहयोग, आपसी समझ और जानकारी का प्रशिक्षण के साथ गठजोड़ हमारे क्षेत्र की साझी सुरक्षा और उन्नति के लिए जरूरी है।

आमतौर पर चीन क्वाड देशों के इस गठजोड़ की निंदा यह कहते हुए करता रहा है कि इस तरह की साझेदारियां क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं। क्वाड देश चीन का नाम लिए बिना ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता की अहमियत पर बात करते हैं, लेकिन अक्सर उनका इशारा इस क्षेत्र में चीन की अपना आधिपत्य बढ़ाने की कोशिशों की ओर होता है। ऐसे में चारों देशों के इसी क्षेत्र में युद्धाभ्यास करने को चीन के लिए एक इशारे के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि, आस्ट्रेलिया के सैन्य अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं।

क्वाड के देश कह चुके हैं कि मालाबार अभ्यास चीन के इस इलाके में सैन्य प्रसार के खिलाफ नहीं है। आस्ट्रेलियाई नौसैनिक जहाज एचएमएएस ब्रिसबेन के कमांडिंग आफिसर कमांडर किंग्सले स्कार्स के मुताबिक, यह अभ्यास हमारे लिए विभिन्न देशों के साथ जुड़ाव और संवाद का मामला है। इस अभ्यास में सबसे बड़ी चुनौतियां चार अलग-अलग देशों की भाषा और सांस्कृतिक बाधाएं हैं।

मालाबार सैन्य अभ्यास आस्ट्रेलिया में 11 अगस्त से शुरू होकर 22 अगस्त तक चलेगा। भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि शीत युद्ध के खत्म होने के बाद 1992 में जब भारत और अमेरिका ने पहली बार मालाबार युद्धाभ्यास किया था तब से दुनिया बहुत बदल चुकी है।आस्ट्रेलिया और अभ्यास में शामिल अन्य देश इसे हिंद प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के लिए जरूरी बताते हैं। आस्ट्रेलियाई बेड़े के कमांडर रीयर एडमिरल क्रिस्टोफर स्मिथ ने कहा, प्रशांत हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। हम जानते हैं कि लोगों की बढ़ने और विकास करने की महत्त्वाकांक्षाएं होती हैं, लेकिन यह मामला पारदर्शिता का है।

यह अभ्यास इस बार हिंद महासागर के बजाय आस्ट्रेलिया के पास इसलिए हो रहा है, क्योंकि सभी देशों के जहाज तालिस्मान साबरे अभ्यास के लिए इलाके में आए हुए थे। तालिस्मान साबरे अभ्यास में 13 देशों की सेनाओं ने हिस्सा लिया था और वह पिछले हफ्ते ही खत्म हुआ था।

चीन का एतराज

वर्ष 2007 में जब आस्ट्रेलिया ने पहली बार इस अभ्यास में हिस्सा लिया था तो पूरी दुनिया को कुछ संकेत मिले थे। चीन ने ऐतराज जताया था, जिसके बाद 2008 में आस्ट्रेलिया ने अभ्यास से खुद को बाहर कर लिया, हाल के सालों में अमेरिका ने क्वाड संगठन को फिर सक्रिय किया, जिसके बाद 2020 में आस्ट्रेलिया फिर से मालाबार अभ्यास में शामिल हो गया। हालांकि चीन अब भी इसका आलोचक है।