पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में पाकिस्तान के खिलाफ बगावत चरम पर पहुंच चुकी है। लोगों का गुबार मंगलवार के बाद दूसरे दिन बुधवार (23 अक्टूबर, 2019) को भी सामने आया। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्थिति हाथ से बाहर होते देख लोगों का गुस्सा भांपा और मुज्जफराबाद में इमरजेंसी लगाने के निर्देश दे दिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां इसके बाद किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर फौरन गिरफ्तारी का ऐलान कर दिया गया है।
दरअसल, मंगलवार को पीओके में लोगों ने आजादी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इसी बीच, पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने उन पर हमला बोल दिया था। घटना के दौरान दो लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई लोग गंभीर रूप से चोटिल हुए थे।
इतना ही नहीं, वहां के सुरक्षाबलों ने मुज्जफराबाद में पत्रकारों को अपना निशाना बनाया था। उन्होंने मीडियाकर्मियों पर आंसू गैस के गोले दागे थे, जिस पर लोगों का गुस्सा और भड़क उठा। पुरुषों, बुजुर्गों से लेकर महिलाओं तक ने इस बाबत अपना विरोध जताया और खुल कर वहां के जवानों को फटकारते हुए कहा था कि वे उनके बच्चों को मारते हो।
#WATCH: Journalists in Pakistan occupied Kashmir (PoK) protest against Pakistani security forces outside Muzaffarabad Press Club. Yesterday several journalists in PoK were attacked by security forces. pic.twitter.com/ELnQCuQr4S
— ANI (@ANI) October 23, 2019
बता दें कि 22 अक्टूबर को ही पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर हमला किया था, जिसके विरोध में पाकिस्तान गुलाम/कब्जाया कश्मीर (पीओके) और गिलगित बालतिस्तान इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं।
‘PAK प्रायोजित आतंकवाद की ग्लोबल मीडिया ने अनदेखी की’: कश्मीर में मानवाधिकार संबंधी स्थिति पर चर्चा के दौरान एक अमेरिकी समिति के समक्ष एक भारतीय पत्रकार ने कहा कि विश्व के प्रेस ने पिछले 30 वर्ष में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।
भारतीय पत्रकार आरती टीकू सिंह के इस बयान पर अमेरिकी सांसद इल्हान उमर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उनकी पत्रकारिता की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। इस आलोचना के बाद सिंह ने इल्हान पर ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ होने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की सुनवाई ‘‘पूर्वाग्रह से ग्रस्त, पक्षपातपूर्ण, भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन’’ में है।
कांग्रेस के आमंत्रण पर उसके सामने गवाही के लिए अमेरिका पहुंची सिंह ने कहा, ‘‘संघर्ष के इन 30 वर्ष में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में इस्लामी जिहाद और आतंकवाद को दिए गए बढ़ावे को दुनिया के प्रेस ने पूरी तरह नजरअंदाज किया। दुनिया में कोई मानवाधिकार कार्यकर्ता और कोई प्रेस नहीं है, जिसे लगता हो कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवाद के पीड़ितों के बारे में बात करना और लिखना उनका नैतिक दायित्व है।’’

