फ्रांसीसी कारोबारी नेताओं ने मोदी पूर्व दौर में आई दिक्कतों का जिक्र करते हुए स्पष्ट, पारदर्शी और स्थिर नियमों पर जोर दिया तथा भारत में निवेश में रुचि जताते हुए भारतीय कंपनियों के साथ विशेष क्षेत्रों में पांच कार्यबल गठित करने का निर्णय किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद के साथ कल यहां आयोजित भारतीय और फ्रांसीसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की मुलाकात के दौरान इन समस्याओं का जिक्र किया गया। इस बैठक में फ्रांसीसी कंपनियों ने भारत में निवेश तथा मेक इन इंडिया कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई।
सीईओ मंच के फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व कर रहे पॉल हर्मेलिन ने कहा भारत में जिस तरह कारोबार किया जाता है, उसमें समस्या है। लेकिन, यह सब मोदी के दौर के पहले था। हर्मेलिन ने इस बात पर बल दिया कि निवेश के लिए किसी भी कंपनी को नियमों में स्पष्टता और पारदर्शिता की जरूरत होती है। उसे स्थिर नियमों की आवश्यकता होती है।
कैपजेमिनी ग्रुप ऑफ फ्रांस के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर्मेलिन ने कहा कि विषमता विदेशी निवेशकों के लिए मुश्किल खड़ी करने वाला एक अन्य क्षेत्र है।
उन्होंने कहा कि वह भारत में नए सुधारों की कोई तमन्ना नहीं रखते, वह बस ऐसे दस प्रतीकात्मक कार्यक्रम चाहते हैं जिससे यह प्रदर्शित हो सके कि परियोजनाएं पूरी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि एक नये संबंध की जरूरत है जहां अनुबंध का सम्मान हो और शानदार तरीके से अमल हो।
सीईओ फोरम में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष ध्रुव साहनी ने कहा कि भारत की नयी सरकार को लेकर फ्रांसीसी कंपनियों में नया उत्साह है।
उन्होंने बताया कि बैठक में सीईओ फोरम ने रक्षा एवं एयरोस्पेस, हरित उर्जा एवं अपशिष्ट प्रबंधन, जैसे विशिष्ट मुद्दों पर पांच कार्यबल बनाने का फैसला किया गया। कार्य बल डेढ़ महीने में बन जायेंगे और कुछ ही महीने बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।