अफगानिस्तान के शहीद सुरक्षाकर्मियों के बच्चों के लिए भारत 500 छात्रवृत्तियां प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात के दौरान इसकी घोषणा की। दोनों नेताओं ने सुरक्षा और द्विपक्षीय सहयोग समेत विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने तड़के मास्को से यहां पहुंचने के तत्काल बाद गनी से मुलाकात की। उनकी अगवानी अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद हनीफ अतमार और विदेश उप मंत्री हिकतम करजई ने की।

इसके बाद गनी ने राष्ट्रपति भवन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘रूस से अफगानिस्तान की ओर रवानगी। भोर से पहले काबुल आगमन के बाद एक अन्य दोस्त के साथ वार्ता का एक और दिन’। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘मित्रों की एक बैठक … बैठक की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया’।

स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘एक मित्र का आलिंगन, एक सच्चे साझीदार की ताकत। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने काबुल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया’। बैठक के बाद मोदी ने अफगानिस्तान के नए संसद भवन का उद्घाटन किया जिसे भारत के सहयोग से तैयार किया गया है। इसके बाद उन्होंने इस देश के सांसदों को संबोधित भी किया । अपने भाषण में मोदी ने कहा कि मैं अफगानिस्तान के शहीद सुरक्षाकर्मियों के बच्चों के लिए 500 छात्रवृत्तियों की घोषणा करता हूं।

मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान के छात्रों को प्रति वर्ष 1000 छात्रवृत्ति देने की योजना जारी रहेगी। मोदी ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई समेत अफगानिस्तान के अन्य नेताओं से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हम कृषि विज्ञान के क्षेत्र में हमारी विशेष छात्रवृत्ति योजना को मिली प्रतिक्रिया से काफी खुश है। सलमा डैम से जल्द ही बिजली और पानी का प्रवाह होगा। स्टोर महल फिर आपके अमूल्य धरोहर के प्रतीक के तौर पर खड़ा होगा। प्रधानमंत्री ने भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों, इंजीनियरों, डॉक्टरों और भारतीय शहीदों के परिवारों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने यहां भारतीय मिशन की सुरक्षा के लिए तैनात आइटीबीपी कर्मियों के साथ भी कुछ समय बिताया और उनके साहस व प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए ‘इसे बनाए रखने’ को कहा। अर्धसैनिक बल भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) का सशस्त्र दस्ता 2002 से ही यहां भारतीय मिशन और राजनयिक कर्मियों की सुरक्षा के लिए तैनात है। बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिल्ली में बताया कि प्रधानमंत्री ने मिशन का दौरा किया और उन्होंने जवानों की शुभकामनाओं का जवाब दिया। उन्होंने आइटीबीपी टुकड़ी के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। इस मौके पर भारतीय राजदूत अमर सिन्हा भी मौजूद थे।

आइटीबीपी यहां स्थित मुख्य भारतीय मिशन के अलावा जलालाबाद, मजार ए शरीफ, कंधार और हेरात में चार वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा भी करता है। भारतीय परिसंपत्तियों और मिशन में काम करने वाले लोगों को अल कायदा जैसे आतंकवादी समूहों से खतरे को ध्यान में रखते हुए इन पांच स्थानों पर करीब 300 कमांडो तैनात हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं। इस देश में भारतीय प्रतिष्ठानों पर विगत में कम से कम दो बड़े हमले हो चुके हैं।