अमेरिका के राजकीय दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिस्त्र के लिए रवाना हो गए हैं। वह शनिवार (24 जून, 2023) शाम तक यहां पहुंच जाएंगे। वह देश की 1000 साल पुरानी अल-हकीम मस्जिद का भी दौरा करेंगे। यह मस्जिद देश की राजधानी काहिरा में है। यह देश की चौथी सबसे पुरानी और इब्न तुलुन के बाद सबसे बड़ी मस्जिद है।

पीएम मोदी के लिए मस्जिद का दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इसका पुननिर्माण दाऊदी बोरहा मुस्लिम समुदाय ने करवाया था, जिसके साथ पीएम मोदी का गहरा नाता है। दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिद का खास महत्व है। इस समुदाय की बड़ी आबादी भारत में रहती है और सबसे ज्यादा दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में रहते हैं। प्रधानमंत्री राज्य में भाजपा की जीत और शासन के लिए समुदाय को श्रेय देते रहे हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय की उत्पत्ति फातिमिदी राजवंश से हुई है, जिसने मस्जिद का 1970 में पुनर्निर्माण करवाया था।

दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय से पीएम मोदी का क्या है कनेक्शन

गुजरात में दाऊदी मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी रहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं और 27 सालों से वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। पीएम मोदी ने कई बार राज्य में शासन में मदद के लिए समुदाय का आभार व्यक्त किया है। बोहरा समुदाय के लोग 11वीं सदी में भारत आए थे और 1539 में यमन से आए लोग गुजरात में बस गए थे।

इससे पहले भी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान प्रधानमंत्री बोहरा समुदाय के लोगों से मिलते रहे हैं। 2011 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने बोहरा समुदाय के प्रमुख सैयेदना बुराहानुद्दीन का सौंवा जन्मदिन मनाने के लिए समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया था और 2014 में उनकी मृत्यु हुई तो पीएम मोदी उनके अंतमि संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई गए थे। उन्होंने सैयेदना बुराहानुद्दीन के उत्तराधिकारी सैयेदना मुफाद्दल सैफुद्दीन से भी मुलाकात की थी, जो अभी समुदाय के प्रमुख हैं।

वहीं, साल 2021 में अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोहरा समुदाय से मले थे। उन्होंने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ बोहरा समुदाय से मुलाकात की थी। 2018 में उन्होंने इंदौर में समुदाय के एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था। बोहरा समुदाय के कार्यक्रम आशरा मुबारक को पीएम ने संबोधित किया था। यह कार्यक्रम इमाम हुसैन (SA) की शहादत की याद में इंदौर की सैफी मस्जिद में आयोजित किया गया था।