प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बिरादरी से आतंकवाद को परमाणु प्रसार के समान ही संवेदनशीलता के साथ लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि विश्व को आतंकवादियों को शरण देने वाले देशों पर सामूहिक रूप से दबाव बनाकर उन्हें अलग-थलग करना चाहिए। प्रधानमंत्री जर्मनी की चांसलर एंजला मर्केल के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने सवाल किया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए 70 सालों से इंतजार क्यों करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देकर भारत के साथ इंसाफ किया जाए। तीन देशों की यात्रा के क्रम में प्रधानमंत्री आज कनाडा पहुंचेंगे।
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद को परमाणु प्रसार के समान ही संवेदनशीलता के साथ लिए जाने की अपील की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा किया और कहा कि विश्व को आतंकवादियों को शरण देने वाले देशों पर सामूहिक रूप से दबाव बनाने के साथ उन्हें अलग-थलग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र में लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते (सीसीआइटी) को इस साल विश्व संगठन की 70वीं वर्षगांठ पर अंतिम रूप देने की वकालत की। सीसीआईटी का मकसद अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए सहयोग को मजबूती प्रदान करना है।
मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि मानवता में विश्वास रखने वाले सभी पक्षों को एक आवाज में बोलना चाहिए और इससे निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों को तेज करना चाहिए। दोनों नेताओं ने इससे पूर्व आतंकवाद के खतरे पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,‘हमें इस दिशा में काम करने की जरूरत है कि हम कैसे उन स्रोतों को रोक सकते हैं। जहां से हथियारों की आपूर्ति होती है। कैसे हम उन देशों पर दबाव बना सकते हैं जहां की सरकारें आतंकवादियों को शरण देती हैं। हमें ऐसे देशों और सरकारों को अलग-थलग करने की जरूरत है।’
मोदी की यह टिप्पणी पाकिस्तान की एक अदालत की ओर से लश्कर-ए-तैयबा के आपरेशन कमांडर और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ता जकीउर रहमान लखवी को रिहा किए जाने के चार दिन बाद आई है। लखवी की रिहाई पर अमेरिका, फ्रांस और इजराइल समेत कई देशों ने इस पर चिंता जताई है। लखवी की रिहाई पर भारत ने कहा था कि इससे आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का मोल घट गया है।
एंजला मर्केल ने भी आतंकवाद को वैश्विक चुनौती बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच सामूहिक रूप से आतंकवाद से लड़ने की सहमति बनी है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,‘मैं दुनिया का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र इस साल अपने गठन के 70 साल पूरे करने जा रहा है। हम प्रथम विश्व युद्ध की 100वीं बरसी पूरी करने जा रहे हैं। दुनिया को यह पता चलना चाहिए कि युद्ध में 75 हजार से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
भारत से 14 लाख से अधिक सैनिकों ने उसमें भाग लिया था, हालांकि इस युद्ध में भारत का कोई हित नहीं था।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का इतिहास इस तथ्य का सबूत है कि वह कभी आक्रमणों में शामिल नहीं हुआ और कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। उन्होंने पूछा,‘शांति जिसके डीएनए में है और जो महात्मा गांधी व भगवान बुद्ध की धरती है, उस भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए 70 सालों से इंतजार क्यों करना पड़ रहा है।’ इस साल संयुक्त राष्ट्र के 70 साल पूरे होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देकर भारत के साथ इंसाफ किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जर्मनी दो ऐसे देश हैं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का अधिकार खुद से कमाया है। उन्होंने कहा,‘हमारी सदस्यता दुनिया के लिए भी फायदेमंद होगी। हम दोनों संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों में ठोस सुधार देखना चाहेंगे।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र बुधवार को तीन दिन के दौरे पर कनाडा पहुंचेंगे। उनकी यात्रा का मकसद यूरेनियम आयात के लिए करार करना, निवेश आमंत्रित करना और भारतीय व कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सुविधा को बेहतर बनाना है। मोदी अपने तीन देशों के दौरे के अंतिम चरण में कनाडा पहुंचेंगे। इससे पहले वह फ्रांस और जर्मनी की यात्रा कर चुके हैं। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पिछले 42 साल में यह पहली कनाडा यात्रा है।
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