द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास में चीन और भारत ने आतंकी समूहों और उनकी गतिविधियों के बारे में एक समर्पित संचार माध्यम से सूचना का सक्रियता से आदान-प्रदान करने पर सहमति जताई है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के शीर्ष नेताओं व सुरक्षा अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद जारी समग्र साझा बयान में कहा गया है, ‘दोनों पक्षों ने आतंकवादियों की गतिविधियों, आतंकी समूहों और उनके संबंधों पर सूचना का आदान-प्रदान करने और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है’।

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि ऐसे सहयोग से क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों पर खुफिया जानकारी साझा करने और अभियानों का विश्लेषण करने के लिए दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा और यह बेशकीमती होगा। अधिकारियों ने कहा कि सीमा पार आतंकी नेटवर्क के अलावा भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय कई उग्रवादी समूहों पर कार्रवाई करने में यह सहयोग खासा अहम है। ये उग्रवादी समूह चीन और म्यामांर के संरक्षण के साथ फले-फूले हैं।

पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के नेटवर्क पर निकट भविष्य में आतंक विरोधी सहयोग के बारे में सिंह और भारतीय अधिकारी जहां चुप्पी साधे रहे वहीं सूत्रों ने कहा कि चीन-भारत सुरक्षा सहयोग बढ़ने पर भारत को आतंकवाद से जुड़ी अपनी चुनौतियों से निपटने में आसानी होगी। साझा बयान में दोनों गृह मंत्रियों की अगुआई वाली नई सुरक्षा व्यवस्था तथा संयुक्त सचिव और महानिदेशक के नेतृत्व में आधिकारिक समिति बनाने की भी बात कही गई है।

बयान में कहा, व्यवस्था की बैठक हर साल होगी। एक बार बेजिंग तो उसके बाद के साल नई दिल्ली में बैठक होगी। इसकी पहली बैठक के लिए चीन का जन सुरक्षा मंत्रालय 2016 में महानिदेशक स्तर के प्रतिनिधिमंडल भेजेगा’। दोनों देशों के बीच साझा बयान शनिवार को उस वक्त जारी किया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग से कुआलालंपुर में आसियान शिखर बैठक से इतर मुलाकात की।

मोदी ने सिंह की चीन के अधिकारियों के साथ पिछले तीन दिन में हुई सार्थक वार्ता के लिए ली को धन्यवाद दिया। ली ने सिंह से मुलाकात के लिए कुआलालंपुर के अपने दौरे में विलंब किया। सिंह के साथ मुलाकात में ली ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। अपने समकक्ष गुओ शेंगकुन और चीन के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी मेंग जियानझू से मुलाकात के बाद सिंह शनिवार को शंघाई के लिए रवाना हो गए जहां वे एक स्थानीय थाने और शहर के जन सुरक्षा कमान नियंत्रण केंद्र का दौरा करेंगे ताकि इसका आकलन किया जा सके कि 2.1 करोड़ की आबादी वाला शहर कानून-व्यवस्था की स्थिति से कैसे निपटता है।

आतंकवाद के अलावा दोनों पक्षों ने अपहरण विरोधी अभियानों, बंधक के हालात से निपटने और आतंकवाद से संबंधित मामलों से निपटने की विशेषज्ञता के आदान-प्रदान में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई। दोनों ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद, मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों, साइबर अपराधों, आर्थिक अपराधों, गैरकानूनी आव्रजन गतिविधियों, हथियारों व गोला-बारूद की तस्करी और दूसरे अपराधों से निपटने में सहयोग को मजबूती प्रदान करेंगे और कानून प्रवर्तन सहयोग के दीर्घकालीन, स्वस्थ और सतत विकास को प्रोत्साहित करेंगे’।

बयान में कहा गया है, ‘ऐसे में दोनों पक्षों के बीच संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों के दौरे हो सकते हैं। दोनों पक्ष कानून प्रवर्तन क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान को मजबूती प्रदान करेंगे’। दोनों देश प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों और संगोष्ठियों में भागीदारी को सहयोग और प्रोत्साहित करेंगे। बयान में कहा गया है, ‘दोनों पक्षों को इस मौके का इस्तेमाल अपने नेताओं के बीच बनी सहमति के क्रियान्वयन के लिए करना चाहिए। दोनों पक्ष इस क्षेत्र में सुरक्षा व स्थिरता कायम रखने के क्रम में कानून प्रवर्तन सहयोग को जारी रखने और परस्पर विश्वास एवं समझ को निरंतर बढ़ाने के प्रयास करेंगे’।

चीन और भारत ने हाल ही में हुए पेरिस हमलों की भर्त्सना की और सभी तरह के आतंकवाद के विरोध का संकल्प किया और आतंकवाद विरोधी लड़ाई में सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई। सिंह ने गुओ और मेंग को भारत का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। वे दोनों अगले साल की पहली और दूसरी छमाही में भारत का दौरा कर सकते हैं।