अलबामा की एक महिला का किडनी डायलिसिस हुआ था। सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण महिला में किया गया था और अब वह अच्छी तरह से ठीक हो रही है। अब महिला को आठ साल के डायलिसिस से मुक्ति मिल गई। ये जानवरों के अंगों के साथ मानव जीवन को बचाने का नया प्रयास है। टोवाना लूनी पांचवीं अमेरिकी हैं जिन्हें सुअर का अंग दिया गया है। इससे पहले जिन्हें भी सुअर की किडनी या हार्ट दिया गया, उनकी दो महीने के अंदर मृत्यु हो गई थी।
यह एक नई शुरुआत की तरह है- महिला ने कहा
53 वर्षीय टोवाना लूनी ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया, “यह एक नई शुरुआत की तरह है। मेरे पास जो ऊर्जा थी, वह अद्भुत थी।” एनवाईयू लैंगोन हेल्थ के डॉ. रॉबर्ट मॉन्टगोमरी ने कहा, “लूनी की सर्जरी एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि वैज्ञानिक अगले साल शुरू होने वाले ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के औपचारिक अध्ययन के लिए तैयार हैं।”
लूनी अपने डायलिसिस के बाद अच्छी तरह से स्वस्थ हो रही हैं। सर्जरी के 11 दिन बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई ताकि वह पास के एक अपार्टमेंट में स्वास्थ्य लाभ जारी रख सके। हालांकि इस सप्ताह उसे फिर से भर्ती कर दिया गया है। डॉक्टरों को उम्मीद है कि वह तीन महीने में अलबामा स्थित अपने घर लौट आएंगी। यदि सुअर की किडनी ख़राब हो जाती, तो वह फिर से डायलिसिस शुरू कर सकती हैं।
25 नवंबर को डायलिसिस करने वाले लूनी के सर्जन डॉ. जयमे लोके ने कहा, “उसके और उसके परिवार के लिए आशा रखना असाधारण है।” 100,000 से अधिक लोग अमेरिकी प्रत्यारोपण सूची में हैं, जिनमें से अधिकांश को किडनी की आवश्यकता है। हजारों लोग इंतज़ार करते-करते मर जाते हैं और बहुत से जिन्हें प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है, उन्हें मिल नहीं पाती।
लूनी ने 1999 में अपनी मां को एक किडनी की थी दान
लूनी ने 1999 में अपनी मां को एक किडनी दान की थी। बाद में गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर हो गया। लूनी ने बर्मिंघम में अलबामा विश्वविद्यालय में सुअर की किडनी पर शोध के बारे में सुना और लोके से कहा कि वह एक कोशिश करना चाहेगी। अप्रैल 2023 में डॉ. जयमे लोके ने कहा कि लूनी जैसे लोगों के लिए नियमों के तहत एक प्रयोग की मांग करते हुए एक एफडीए आवेदन दायर किया। हालांकि एफडीए तुरंत सहमत नहीं हुआ। इसके बजाय दुनिया का पहला सुअर किडनी प्रत्यारोपण पिछले साल मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल और एनवाईयू में दो बीमार रोगियों को दिया गया। दोनों को दिल की गंभीर बीमारी भी थी। एक मरीज इतना ठीक हो गया कि लगभग एक महीना जिंदा रहा और फिर अचानक कार्डियक अरेस्ट से मर गया। वहीं दूसरे मरीज़ को हृदय संबंधी दिक्कतें थीं, जिससे उसकी सुअर की किडनी बेकार हो गई, जिससे उसे निकालना पड़ा और बाद में उसकी मृत्यु हो गई।