पाकिस्तान में सियासी विरोध का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की तैयारी पूरी हो गई है। वहां की नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने 25 मार्च को निचले सदन का सत्र बुलाया है। दूसरी ओर, विपक्ष के नेताओं ने कैसर पर प्रधानमंत्री खान का साथ देने के आरोप लगाए हैं। विपक्षी दलों ने मतदान से पहले सभी सांसदों को नेशनल असेंबली में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कहा है। खान इससे पहले भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुके हैं, लेकिन अबकी बार विपक्ष को भरोसा है कि वे उन्हें सरकार से बाहर कर देंगे। विपक्षी दलों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव दाखिल कर दिया था।
पाकिस्तान के विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ ने स्पीकर कैसर पर पीएम खान का साथ देने के आरोप लगाए हैं। इससे पहले विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) की तरफ से दिए अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने की पेशकश से इनकार कर दिया था। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि अगर प्रधानमंत्री इस्तीफा देने की घोषणा कर देते हैं, तो ही प्रस्ताव वापस लिया जाएगा।
दरअसल, पाकिस्तानी मीडिया में खबरें तो यह भी आ रही हैं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इमरान को कुर्सी छोड़ने को कहा है। उनसे कहा गया है कि वे कुर्सी छोड़कर पार्टी के किसी और नेता को प्रधानमंत्री बना दें। इससे पहले पीटीआइ मान रही थी कि पूर्व सेना प्रमुख राहिल शरीफ के साथ बैठक के बाद उनकी सरकार बची रहेगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया हैं।
सीटों का गणित कहता है कि इमरान खान की पार्टी के पास 155 सीटें हैं। पाकिस्तान की संसद में सरकार बनाने के लिए 172 सांसदों की जरूरत होती है। पीटीआइ के पास सहयोगी दलों के समेत 178 सदस्यों का समर्थन हासिल है। इमरान ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी। अब अविश्वास प्रस्ताव के बाद उनकी कुर्सी हिल रही है। सत्ताधारी पार्टी पीटीआइ के नेशनल असेंबली के लगभग 24 सदस्यों ने 17 मार्च को सिंध हाउस में शरण ली थी और ऐलान किया था कि वे अपने विवेक के अनुसार इमरान खान के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि तीन मंत्री भी विपक्ष के साथ हैं।
जहां तक गठबंधन सहयोगी पीएमएल-क्यू का संबंध है, खान की पीटीआइ को उनके निरंतर समर्थन को स्वीकार करते हुए पार्टी ने साथ ही उनके साथ दिखाए गए विश्वास की कमी के लिए इमरान की आलोचना की है। 15 मार्च को एक टीवी साक्षात्कार में पीएमएल-क्यू से पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही ने खान की प्रतिशोधी मानसिकता और हठ एवं कुछ लोगों पर निर्भरता का हवाला देते हुए पीटीआइ के साथ उनके बिगड़ते संबंधों को उजागर किया।
चौधरी हमेशा पाकिस्तान में सत्ता के खेल में प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं और आमतौर पर अपने राजनीतिक सहयोगियों के साथ-साथ अपने प्रतिद्वंद्वियों को लेकर अपनी बयानबाजी में भी संतुलित और नियंत्रित रहते हैं। इसके पूर्व इमरान सरकार में सहयोगी दल एमक्यूएम पी के समन्वयक डाक्टर खालिद मकबूल सिद्दकी ने कहा था कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए लगता नहीं है कि इमरान खान सत्ता में बने रहेंगे।
पांच साल पूरा नहीं कर पाया कोई
पाक के 75 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। इमरान खान के पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा केस में दोषी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया था और इसके बाद नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा था। 1990 में पहली बार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें 1993 में पद छोड़ना पड़ा। 97 में दोबारा प्रधानमंत्री बने और 99 तक प्रधानमंत्री रहे। 2013 में तीसरी बार नवाज शरीफ ने पदभार संभाला, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुर्सी चली गई। लियाकत अली खान की हत्या के बाद ख्वाजा नाजीमुद्दीन ने सत्ता संभाली।
वे दो साल ही इस कुर्सी पर थे तब तक गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। मोहम्मद अली बोगला कुछ महीनों के ही मेहमान रहे। 1955 में चौधरी मुहम्मद अली ने प्रधानमंत्री का पद संभाला लेकिन एक साल बाद ही राष्ट्रपति चुनाव के विवाद में इस्तीफा दे दिया। 1956 में शाहिद सुहरावर्दी आए, उन्हें दो साल के भीतर ही पद छोड़ना पड़ा। 1957 में इस्माइल चुंद्रीगर आए, जो दो महीने के भीतर चले गए। 1957 में ही फिरोज खान नून को 1958 में मार्शल ला लागू होने के बाद बर्खास्त कर दिया गया।