उत्तर कोरिया कोविड की शुरुआत से यह दावा करता रहा है कि उसके यहां कोई भी इससे पीड़ित नहीं है और न ही कोरोना का कोई विषाणु होने का ही पता चला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी देश में संक्रमण की जानकारी नहीं दी जा रही थी। हालांकि अब जब वहां की आर्थिक हालत खराब हो रही है तब देश के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन कह रहे हैं कि कुछ लोगों की लापरवाही से देश के हालात बिगड़ रहे हैं। इस पर उन्होंने कई शीर्षस्थ अफसरों को बर्खास्त कर दिया या फिर उन्हें हटा दिया है।
उत्तर कोरिया ने आधिकारिक तौर पर किसी भी सीओवीआईडी -19 मामलों की पुष्टि नहीं की है। यहां तक कि देश ने दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी अधिकारियों के उस दावे का भी खंडन किया कि यहां कोई संक्रमित भी है। सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए की रिपोर्ट में उत्तरी कोरिया कोरोना विषाणु के किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने के लिए पहले ही काफी कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि सरकारी रोकथाम के बावजूद देश में कोरोना का संक्रमण काफी अधिक हुआ। न्यूक्लियर प्रोग्रामों के चलते देश को पहले ही कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। चीन की सीमा पर कड़े प्रतिबंधों की वजह से व्यापार भी ठप है। बदकिस्मती यह भी है कि प्राकृतिक आपदा की वजह से इस साल फसल भी खराब हो गई। इससे देश की आर्थिक हालत काफी खराब है। किम जोंग उन ने वर्तमान हालात के लिए अपने अफसरों को दोषी माना है और उन पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी।
जापान के क्योडो न्यूज ने बताया कि कोविड से निपटने के लिए उत्तर कोरिया को मई के अंत तक एस्ट्राजेनेका पीएलसी शॉट की 1.7 मिलियन खुराक मिलनी थी, लेकिन कोवैक्स के निर्देशों और नियमों का पालन करने के लिए तैयार नहीं होने के कारण शिपमेंट में देरी हुई। उत्तर कोरिया विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समर्थित कार्यक्रम के माध्यम से भी टीके प्राप्त करने के लिए पात्र है, लेकिन इसने हिचकिचाहट दिखाई है।
देश के प्रमुख समाचार पत्र रोडोंग सिनमुन ने जून में एक लेख में टीकों के बारे में संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि वे “लोगों को वायरस फैलाने या वायरस के नए उपभेदों से बचाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।”