म्यांमार में लोगों ने एक मस्जिद को तोड़ दिया। मामला म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून से दो घंटे की दूरी पर स्थित गांव थायेथामिन का है। हाल के महीनों यह पहली साम्प्रदायिक घटना है। लोगों के बीच निर्माण को लेकर झगड़ा हुआ। इसके बाद भीड़ ने गुरुवार को मस्जिद को तोड़ दिया और एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई कर दी। सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में टूटी हुई बिल्डिंग, बिखरा हुआ फर्नीचर और लाठियों से लैस लोग दिखाई दे रहे हैं। हालांकि तस्वीरों का सत्यापन नहीं हो पाया है।
पुलिस प्रवक्ता कर्नल जॉ खिन ऑन्ग ने बताया, ”स्थिति अब नियंत्रण में है और किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।” म्यांमार में साम्प्रदायिक तनाव पिछले 50 साल से चल रहा है। सैन्य शासन के दौरान यह तनाव बढ़ता रहा। 2012 में अर्ध निर्वाचित सरकार के सत्ता में आने के बाद तनाव की परिणीति दंगों के रूप में हुर्इ।
इन दंगों में सैंकड़ों लोगों की जान गई और हजारों लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा था। दंगे रोहिंग्या मुसलमानों और स्थानीय रेखिन बौद्धों के बीच हुए। साल 2013 में यह हिंसा देश के अन्य इलाकों में भी फैल गई थी। स्थानीय बौद्ध रोहिंग्या मुसलमानों को बंगाली मानते हैं। हालांकि ये कई पीढि़यों से म्यांमार में रह रहे हैं। इसी बीच, आंग सान सू की ने कहा कि मुसलमानों के साथ रोहिंग्या शब्द का इस्तेमाल न करें। यह भड़काऊ है। इसके बजाय उन्हें रेखिन राज्य के मुसलमान कहा जाए। म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की आबादी तकरीबन 11 लाख है।