भारत ने गुरुवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हालिया टिप्पणियों का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए अत्याचारों के लिए माफ नहीं किया जा सकता है।

विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्मिता पंत ने एक प्रेस वार्ता में हाल में दी गई शेख हसीना की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि भारत प्रधानमंत्री हसीना की भावनाओं का बहुत सम्मान करता है और उन्हें समझता है।

हसीना ने कहा था कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अत्याचार के लिए पाकिस्तान को माफ नहीं किया जा सकता। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पंत ने कहा, “दो लाख से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उन्हें यातनाएं दी गईं। हम प्रधानमंत्री शेख हसीना की भावना को समझते हैं और उनका सम्मान करते हैं।” उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के खिलाफ राज्य समर्थित अत्याचार किया गया जिसमें 30 लाख लोग मारे गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश को ‘पड़ोस प्रथम’ नीति का प्रमुख स्तम्भ बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि बांग्लादेश के साथ संबंधों में मजबूती और गहराई लाना उनकी विशेष प्राथमिकता रही है। वहीं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत को अपने देश का ‘सच्चा मित्र’ बताया। मोदी और हसीना ने डिजिटल माध्यम से शिखर वार्ता में हिस्सा लेते हुए यह बात कही।

इस दौरान भारत और बांग्लादेश ने आपसी सहयोग को गति देते हुए हाइड्रोकार्बन, कृषि, कपड़ा और सामुदायिक विकास जैसे विविध क्षेत्रों में सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये। साथ ही दोनों देशों ने सीमा पार चिलाहाटी-हल्दीबाड़ी रेल सम्पर्क को बहाल किया, जो 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद बंद हो गया था।

शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खतरे, कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों, भारत बांग्लादेश सीमा प्रबंधन, क्षेत्रीय सम्पर्क सहित विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की। इसमें दोनों देशों के बीच कारोबार एवं ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने और म्यामां के रखाइन प्रांत से विस्थापित लोगों से जुड़े विषय भी शामिल रहे।