रूस यूक्रेन वॉर के दौरान इमरान खान ने जब व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की तो उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। लड़ाई शुरू होने के दो हफ्ते बाद अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट और पाकिस्तानी अंबेसडर के बीच ये मुलाकात हुई। मीटिंग में अमेरिकी सरकार की तरफ से दो अफसर मौजूद थे। वो इस बात से खासे नाराज थे कि इमरान खान ऐसे वक्त में रूस को बढ़ावा दे रहे हैं जब वो यूक्रेन पर हमला कर रहा है।
पाकिस्तानी सरकार के लीक डाक्यूमेंट में ये सारा खुलासा हुआ है। 7 मार्च 2022 को ये मीटिंग हुई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सरकार इस बात पर आमादा थी कि इमरान खान को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उसके बाद इमरान के सहयोगी राजनीतिक दल एक के बाद एक करके उनका साथ छोड़ते चले गए। उनके खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। अमेरिकी इशारे पर सेना भी उनके खिलाफ हो चुकी थी। लिहाजा वो बड़े आराम से सत्ता से बाहर हो गए।
इमरान ने रैलियों में कागज लहराकर अमेरिकी साजिश को किया था बेपर्दा
हालांकि इमरान खान ने ये बात उसी समय सार्वजनिक कर दी थी। कुछ रैलियों में उन्होंने एक कागज लहराते हुए कहा था कि अमेरिकी सरकार नहीं चाहती थी कि वो सत्ता में रहें। अमेरिका के इशारे पर ही उनके खिलाफ साजिश रची गई और वो सत्ता से बाहर हो गए।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भंग, पर इमरान जेल के भीतर
ध्यान रहे कि शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान की संसद को भंग करवा दिया है। अब वहां चुनाव जल्दी होंगे। लेकिन संसद के भंग होने से पहले इमरान खान को जेल में डाल दिया गया है। वो करप्शन के मामले में फिलहाल तीन साल की सजा भुगत रहे हैं। अगले पांच साल तक वो चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं अगर ऊपरी अदालत से उनको राहत नहीं मिली। वो अटक जेल में बंद हैं।
इमरान ने सजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिल सकी। उनकी अर्जी खारिज कर दी गई। अब उनके सामने केवल एक ही रास्ता बचा है कि वो सुप्रीम कोर्ट जाए। वहीं से उनको पहले भी राहत मिली थी। तब पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने सेना को आदेश देकर इमरान को पेश करने को कहा था। बंदियाल ने ही उऩको रिहा भी कराया था।