Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच, बांग्लादेशी लेखिका और एक्टिविस्ट तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने एक बार फिर से हिंदु समुदाय की वहां क्या स्थिति है, इसको लेकर राज खोला है। तसलीमा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश में हिंदू कर्मचारियों को जिहादी इस हद तक परेशान करते हैं कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
तसलीमा नसरीन ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘मैंने 32 साल पहले लज्जा लिखी थी। लज्जा की कहानियाँ आज भी चल रही हैं। हिंदुओं को परेशान किया जाता है, अपमानित किया जाता है और अंत में वे डर के मारे देश छोड़ने का फैसला कर लेते हैं। बांग्लादेश में हिन्दू शिक्षकों, अधिकारियों, पुलिस, डॉक्टरों आदि को जिहादियों द्वारा इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जाता है।
तस्लीमा नसरीन ने इससे सोशल मीडिया पोस्ट में शेख हसीना और प्रदर्शनकारियों का जिक्र किया है। तस्लीमा नसरीन ने कहा, ‘हसीना ने इस्लामी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया, जब मैं अपनी मां को उनकी मृत्युशय्या पर देखने के लिए बांग्लादेश में दाखिल हुई थी और मुझे फिर कभी देश में प्रवेश नहीं करने दिया। वही इस्लामी कट्टरपंथी छात्र आंदोलन में शामिल रहे हैं, जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया।’
बता दें, तसलीमा नसरीन बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसके बाद वो भारत आकर रहने लगी थीं। तसलीमा नसरीन ने अपने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा, अपनी स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस्लामी कट्टरपंथियों को पनपने दिया, उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने दिया। उन्होंने आगे कहा कि अब बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए। सेना को शासन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता लानी चाहिए।’
तस्लीमा नसरीन 1994 से निर्वासन में रह रही हैं, जब उनकी किताब “लज्जा” को बांग्लादेश में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। 1993 में लिखी गई इस किताब पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन यह दुनिया के बाकी हिस्सों में बेस्टसेलर बन गई।