अमेरिका में अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का मामला बेहद गरमाया हुआ है। पुलिस हिरासत में उनकी मौत के बाद से अब तक (1 जून, 2020) 100 से अधिक शहरों में प्रदर्शन, हिंसा और हंगामे हो चुके हैं। ऐसे ही प्रदर्शनों के तीसरे दिन यानी शुक्रवार (29 मई) को पुलिस के साथ तनाव बढ़ने पर प्रदर्शनकारियों ने व्हाइट हाउस के पास आगजनी कर खूब उपद्रव काटा। आक्रोश इतना अधिक था कि सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की भीड़ देख व्हाइट हाउस में फौरन अंधेरा किया गया था, क्योंकि बाहर इस दौरान आग की लपटें उठ रही थीं। आंसू गैस के गोले दागे जा रहे थे। पुलिस और सिस्टम पर आगबबूला प्रदर्शनकारी फ्लॉयड की मौत को लेकर नारेबाजी करते हुए विरोध जता रहे थे। आलम यह था कि उस वक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सपरिवार व्हाइट हाउस के भीतर बने खास बंकर में जाकर शरण लेनी पड़ी थी।
गाड़ियों को फूंका, हर तरफ था धुआं ही धुआं: हुआ यूं कि उस रात व्हाइट हाउस के पास प्रदर्शनकारियों का हुजूम जुट गया था, जिसके बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग भी की। प्रर्दशनकारियों ने इससे पहले कुछ प्रमुख इमारतों की खिड़कियां तोड़ दी थीं। गाड़ियों को पलटकर आग के हवाले कर दिया था, जबकि पूरे वाकये के दौरान वॉशिंगटन मॉन्यूमेंट के पास आगजनी और फायरिंग के बाद का धुंआ चारों तरफ धू-धूकर उठता नजर आया।
टियर गैस हमले के बाद उग्र हुए थे प्रदर्शनकारी!: समाचार एजेंसी ‘AP’ के मुताबिक, विरोध प्रदर्शनों के तीसरे दिन रात 11 बजे घोषित कर्फ्यू से करीब एक घंटे पहले पुलिस ने 1,000 से अधिक लोगों की भीड़ पर बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे थे। पुलिस ने व्हाइट हाउस से आने वाली सड़क के साथ लगने वाले लाफयेट्ट पार्क को साफ कराने और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर लगे चिह्नों और प्लास्टिक के अवरोधक जमा किए और एच स्ट्रीट के बीचों-बीच उन्हें आग लगा दी।
जलाया US का झंडा, कई मील दूर भी ‘भड़की आग’: इस दौरान कुछ ने पास की इमारत से अमेरिकी ध्वज उतारा और उसे आग में फेंक दिया। अन्य ने पेड़ों की टहनियां तोड़कर डाली। पार्क के उत्तरी हिस्से में स्थित अंगारनुमा ढांचा पूरी तरह जल गया। वहीं, कई मील दूर उत्तर में, उत्तरपश्चिम डीसी में, मेरीलैंड सीमा के पास एक अलग प्रदर्शन शुरू हो गया। वहीं, व्हाइट हाउस में इस दौरान पूरा अंधेरा कर दिया गया था। बाहर की सभी बत्तियां बंद कर दी गई थीं।
SSA लेकर गए थे बंकर में, फर्स्ट लेडी थीं खासा चिंतितः व्हाइट हाउस के पास जब प्रदर्शनकारी जुट गए थे, तब सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ट्रंप परिवार को लेकर आनन-फानन अंडरग्राउंड बने खास बंकर में लेकर गए थे। इसी बीच, बाहर प्रदर्शनकारी ट्रंप के खिलाफ नारेबाजी के साथ वहां कुछ ईंट और बोतलें फेंक रहे थे। कुछ सलाहकारों ने बताया कि शुक्रवार रात के अनुभव ने ट्रंप और उनके परिवार को थोड़ा परेशान किया था। बंकर में रात गुजारने के बाद अगली सुबह फर्स्ट लेडी और ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप फ्लोरिडा में रॉकेट लॉन्चिंग के कार्यक्रम में शरीक नहीं हुईं। यह फैसला हुआ उन्होंने आखिरी वक्त पर लिया। जानकारों ने बताया कि वह इन प्रदर्शनों को लेकर खासा चिंतित हैं। हालांकि, ट्रंप वहां गए थे।
व्हाइट हाउस के पास और बढ़ी सुरक्षाः शनिवार को फ्लोरिडा से ट्रंप व्हाइट हाउस पहुंचे, तब उन्हें वहां आसपास घेराबंदी मिली। हालांकि, इस बार सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद थी। वॉशिंगटन पुलिस ने इमारत के आसपास की सड़कों को ब्लॉक कर रखा था और सैकड़ों पुलिसकर्मी व नेशनल गार्ड्स की टुकड़ियां हेलमेट पहनकर किसी भी हालत से निपटने को मुस्तैद थीं।
ट्रंप के निशाने पर ANTIFA, घोषित करेंगे आतंकी संगठनः प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति ने अपनी सरकार से कहा है कि वह ANTIFA को आतंकी संगठन घोषित करेंगे। उन्होंने इस संबंध में सोमवार को अटॉर्नी जनरल विलियम पी बार्र के साथ बैठक भी रखी, पर एंटीफा ऐसे कार्यकर्ताओं का आंदोलन है, जो काले कपड़ों में रहते हैं और ऐसा अराजक तत्वों वाले तौर-तरीके अपनाते हैं। यह कोई साफ ढांचे के तहत बना संगठन नहीं है, जिस पर पेनाल्टी लगाई जा सके। और, वैसे भी अमेरिकी कानून के मुताबिक, वहां पर आतंक का टैग विदेशी संगठनों को दिया जाता है, न कि घरेलू समूहों को।
‘एंटीफा के लोग तहत-नहस कर रहे हमारा समाज’: इसी बीच, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रॉबर्ट सी.ओब्रायन ने कहा कि कानून व्यवस्था को लेकर राष्ट्रपति और कड़े फैसले ले सकते हैं। वह भी तब, जब वह जानते-समझते हैं कि फ्लॉयड की मौत पर लोगों में कितना गुस्सा है। बकौल ओब्रायन, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन और प्रदर्शनकारी चाहते हैं, जो वाकई में क्रूरता और नस्लभेद को लेकर चिंतित हों। वे सिटी हॉल जाएं। वे सरकार से शिकार करें और अपनी बात उन तक पहुंचाएं। पर वे लेफ्ट विंग एंटीफा के चरमपंथियों द्वारा हाइजैक नहीं किए जा सकते, जो अफ्रीकी-अमेरिकी समुदायों और समाज को तहस नहस कर रहे हैं।”
नस्लभेद और पुलिसिया हिंसा पर प्रदर्शन तेजः फ्लॉयड की मौत के बाद से फिलहाल 140 शहरों में प्रदर्शन हो चुके हैं। कुछ जगह ये हिंसक हुए, जबकि कहीं-कहीं नेशनल गार्ड्स की तैनाती की बात हुई, पर ट्रंप की ओर इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा गया। ऐसा तब हुआ, जब उनके कुछ कैंपेन सलाहकार कह रहे थे कि वह देश के नाम संबोधन देंगे और लोगों से शांति की अपील करेंगे।