अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी ताजा रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि मई में तनाव चरम पर पहुंचने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के महीनों में माहौल कुछ शांत हुआ है। संगठन के मुताबिक, इससे पाकिस्तान से जुड़े बिजनेस और रेप्युटेशनल रिस्क में कमी आई है। यह आकलन ऐसे समय आया है, जब IMF ने पाकिस्तान पर नई लोन शर्तों का दबाव और बढ़ा दिया है।
IMF ने पाकिस्तान को लोन लेने के लिए कुल 11 नए स्ट्रक्चरल बेंचमार्क दिए हैं। इनमें टैक्स सुधार, सरकारी अफसरों की संपत्ति पारदर्शिता और बिजली कंपनियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। इनमें से तीन अहम शर्तें पाकिस्तान को दिसंबर के आखिर तक पूरी करनी होंगी।
IMF ने रिपोर्ट में कहा कि मजबूत प्रोग्राम परफॉर्मेंस और लगातार रिफॉर्म्स पर काम करने से पाकिस्तान का बिजनेस रिस्क कम होता है। संगठन ने साफ कहा कि भारत के साथ तनाव कम होना भी इस जोखिम में कमी का बड़ा कारण है। मई में तनाव चरम पर था, लेकिन अब हालात बेहतर हुए हैं, जिससे फिस्कल और एक्सटर्नल रिस्क तथा फंड के गलत इस्तेमाल से संबंधित चिंताएं पहले से कम हुई हैं।
IMF ने गुरुवार (11 दिसंबर) को पाकिस्तान की कंट्री रिपोर्ट जारी की। इससे पहले अक्टूबर में IMF ने अपने 7 बिलियन डॉलर वाले एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम के तहत 1 बिलियन डॉलर की दूसरी किस्त को मंजूरी दी थी। साथ ही, रेज़िलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के पहले रिव्यू के बाद पाकिस्तान को 200 मिलियन डॉलर निकालने की अनुमति मिली। दोनों सुविधाओं के तहत अब तक पाकिस्तान को कुल 3.3 बिलियन डॉलर मिल चुके हैं।
नई 11 शर्तें: पारदर्शिता, टैक्स सुधार और बिजली कंपनियों में निजी भागीदारी
IMF की सबसे महत्वपूर्ण शर्तों में से एक यह है कि जून 2025 तक शीर्ष संघीय सिविल सर्वेंट्स की एसेट डिक्लेरेशन को एक सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। संगठन ने यह मांग ऐसे समय रखी है जब उसने नवंबर में अपनी गवर्नेंस एंड करप्शन-डायग्नोस्टिक (GCD) रिपोर्ट में पाकिस्तान में करप्शन, जजों पर अविश्वास और एंटी-करप्शन संस्थाओं पर राजनीतिक प्रभाव को गंभीर समस्या बताया था।
GCD रिपोर्ट पाकिस्तान सरकार के ही अनुरोध पर की गई थी। इसे IMF और वर्ल्ड बैंक के विशेषज्ञों ने जनवरी 2025 से मिलकर तैयार किया। इसमें यह भी दर्ज है कि पाकिस्तान में हालिया 27वां संवैधानिक संशोधन सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां कम करता है।
नई शर्तों में एक तीन से पांच साल की मीडियम-टर्म टैक्स रिफॉर्म रणनीति को तैयार कर सार्वजनिक करना भी शामिल है। इसमें टैक्स प्रशासन, नीतियों और कानूनों को आधुनिक बनाने की चरणबद्ध योजना, गवर्नेंस अरेंजमेंट्स और संसाधन योजना का पूरा ब्लूप्रिंट शामिल होना चाहिए। यह भी दिसंबर के आखिर तक लागू करना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा, इस्लामाबाद को उसी अवधि में HESCO और SEPCO जैसी पब्लिक यूटिलिटी कंपनियों के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी की प्रक्रिया की प्री-कंडीशंस को फाइनल करना होगा।
अन्य शर्तों में एक विस्तृत फिस्कल रोडमैप शामिल है, जिसमें स्टाफिंग, प्रमुख रिफॉर्म क्षेत्र, टाइमलाइन, माइलस्टोन और रेवेन्यू प्रभाव के अनुमान शामिल होंगे। मार्च तक इसके अहम परफॉर्मेंस इंडिकेटर तय करने होंगे।
फॉरेन एक्सचेंज इनफ्लो बढ़ाने के लिए पाकिस्तान को मई 2025 तक रेमिटेंस कॉस्ट और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स में अड़चनों का विस्तृत आकलन और उसके समाधान के लिए एक्शन प्लान भी देना होगा।
जून 2025 के अंत तक केंद्र और प्रांतीय सरकारों को चीनी बाजार को खुला और आसान बनाने पर सहमत होना होगा, जिसमें लाइसेंसिंग, प्राइस कंट्रोल, आयात-निर्यात अनुमति और ज़ोनिंग के स्पष्ट नियम शामिल होंगे।
भारत की चिंताएं और IMF का रुख
भारत ने मई में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद IMF की बोर्ड मीटिंग में पाकिस्तान को समर्थन देने से खुद को अलग कर लिया था। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है और IMF लोन के “गलत इस्तेमाल” का खतरा बना रहता है, खासकर सरकार द्वारा प्रायोजित क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद के संदर्भ में। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी IMF को चेताया था कि किसी भी बेलआउट से पहले तथ्यों की गहराई से जांच ज़रूरी है।
9 मई की IMF बोर्ड मीटिंग से दो दिन पहले IMF स्टाफ ने भी भारत के साथ बढ़ते तनाव और लोन के कथित गलत इस्तेमाल से जुड़े जोखिमों को “रेप्युटेशनल रिस्क” के रूप में चिन्हित किया था।
सितंबर 2024 में पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर का IMF पैकेज मिला था। यह 37 महीने का प्रोग्राम है, जिसमें छह रिव्यू शामिल हैं। EFF का उद्देश्य उन देशों को मदद देना है, जो संरचनात्मक समस्याओं की वजह से लंबे समय तक पेमेंट बैलेंस संकट में फंसे रहते हैं। वहीं RSF का फोकस क्लाइमेट रिस्क को कम करने पर होता है।
IMF की टीम ने EFF के दूसरे रिव्यू और RSF के पहले रिव्यू के लिए 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक कराची और इस्लामाबाद का दौरा किया। IMF ने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत हैं—फिस्कल प्राइमरी बैलेंस लक्ष्य से बेहतर है, महंगाई कम हो रही है, बाहरी बफर मजबूत हो रहे हैं और बाजार में भरोसा लौट रहा है। हालांकि हाल की बाढ़ से FY26 की अनुमानित GDP घटकर 3.25-3.5% रहने का अनुमान है।
