डेनमार्क ने महिलाओं के लिए बड़ा फैसला लिया है। यहां की महिलाएं अब पुरुषों की तरह सेना में शामिल होकर देश की रक्षा कर सकेंगी। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। डेनमार्क में महिलाओं के लिए सेना में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले के बाद डेनमार्क उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है कि जहां सेना में भर्ती होना महिलाओं के लिए अनिवार्य है। इसके लिए उन्हें बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है।

इसकी जानकारी खुद डेनिश प्रधानमंत्री मैट फ्रेडरिकसेन ने दी है। इस फैसले का उद्देश्य देश की रक्षा क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही सशस्त्र बलों के क्षेत्र में लिंग समानता बनाना है। फ्रेडरिकसेन ने कहा कि अब महिलाओं और पुरुषों की सेवा को चार महीने से बढ़ाकर ग्यारह महीनेकर दिया जाएगा।

क्या है वजह

रिपोर्ट के अनुसार, इस समय कई देश युद्ध से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह फैसला लेना काफी अनिवार्य है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है। हम ऐसा इसलिए नहीं कर रहे है कि हम युद्ध करना चाह रहे हैं, हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि हम यु्द्ध से बचना चाह रहे हैं। बता दें कि रूस और यूक्रेन के युद्ध में नाटो गठबंधन का सदस्य डेनमार्क रूस का समर्थक है। इसलिए भी डेनमार्क को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है। हालांकि रूस, डेनमार्क के लिए फिलहाल खतरा नहीं है। फिर भी डेनमार्क राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के संकल्प पर कायम है।

इसलिए अब यहां महिलाओं के लिए सेना में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया है। वैसे डेनमार्क ऐसा करने वाला पहला देश नहीं है। चलिए बताते हैं कि उन देशों के नाम क्या है।

स्वीडन: 2017 में स्वीडन ने क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों पर चिंताओं के बीच पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए भर्ती बहाल की थी।

नॉर्वे: 2015 से नॉर्वे ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए राष्ट्रीय सेवा को अनिवार्य कर दिया है।

इरिट्रिया: इरिट्रिया में लड़के और लड़कियों दोनों के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य है।

दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया: दोनों कोरिया में महिलाओं को सेना में भर्ती करना अनिवार्य है।

इसके अलावा कुछ देशों में सेना में भर्ती होने का फैसला पूरी तरह से महिलाओं के ऊपर हैं। वे चाहें तो सेना में भर्ती हो सकती हैं और नहीं भी हो सकती हैं। यह पूरी तरह महिलाओं की मर्जी के ऊपर निर्भर है।