दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण अब अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर चर्चा का मुद्दा बन गया है। अजरबैजान की राजधानी बाकू में पर्यावरण को लेकर आयोजित COP29 समिट में दिल्ली की जहरीली हवा पर चर्चा की गयी। इस दौरान पर्यावरण विशेषज्ञों ने दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण पर ना सिर्फ चिंता जताई बल्कि उसे दूर करने के प्रयासों को लेकर भी बात की।

COP29 का दूसरा हफ्ता स्वास्थ्य दिवस के साथ शुरू हो रहा है। ऐसे में ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट मानव स्वास्थ्य के लिए जीवाश्म ईंधन प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से पैदा ही इमरजेंसी के बारे में चर्चा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। साथ ही देशों के लिए एक ऐसे भविष्य की रूपरेखा तैयार करने की जरूरत पर चर्चा कर रहे हैं जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भर न हो।

ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ एलायंस के उपाध्यक्ष कर्टनी हॉवर्ड ने कनाडा के अपने अनुभव शेयर किए। कनाडा में 2023 में वाइल्ड फायर ने 70 प्रतिशत आबादी को मुश्किल में डाल दिया था और इलाका खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने कहा, “यह सारा काम हमारे जैसे समृद्ध देश के लिए भी महंगा था। ऐसे में गरीब देशों को ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत होती है।”

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पर्यावरणविद और वॉरियर मॉम्स की सह-संस्थापक भावरीन कंधारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “जैसे-जैसे COP29 दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर रहा है इसे एक समावेशी क्लाइमेट एक्शन प्लान को प्राथमिकता देनी चाहिए जो शहरी एयर क्वालिटी पर ध्यान देती है, रीन्युएबल एनर्जी में निवेश करती है और प्रदूषण के पर्यावरणीय पहलुओं को कम करने में कमज़ोर क्षेत्रों का समर्थन करती है। हम एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में हैं और दिल्ली का दम घोंटने वाला धुआं सिर्फ़ एक स्थानीय संकट नहीं है बल्कि वायु प्रदूषण और जलवायु निष्क्रियता के साथ दक्षिण एशिया की बढ़ती लड़ाई की याद दिलाता है।”

दिल्ली की खतरनाक एयर क्वालिटी पर फोकस

COP29 की बैठक में दिल्ली की खतरनाक एयर क्वालिटी पर फोकस रहा। विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में आगाह किया और तुरंत एक ग्लोबल एक्शन लेने की बात कही। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का कहना है कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। कुछ क्षेत्रों में पार्टिकुलेट पॉल्यूशन 1,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, “प्रदूषण ब्लैक कार्बन, ओजोन, जीवाश्म ईंधन जलाने और पराली जलाने जैसे कई सोर्स से आता है। हमें ऐसे समाधानों की जरूरत है जो इन सभी से निपट सकें।”