अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। इस दौरान तवांग के यांग्त्से में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए और जवानों के बीच संघर्ष की नौबत आई। दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार मामले को सुलझाया गया। दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद सैनिक पीछे हट गए।

सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, यह घटना कुछ दिन पहले हुई और सैन्य कमांडरों की बातचीत में मामला सुलझा लिए जाने के बाद इसका खुलासा किया गया है। यह नोकझोंक उस वक्त हुई, जब चीनी गश्ती दल ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को वापस भेज दिया गया।

यह घटना पूर्वी लद्दाख विवाद पर दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के एक और दौर से पहले सामने हुई। अगले तीन-चार दिन में कोर कमांडर स्तर की वार्ता होने की संभावना है। ताजा गतिरोध के बारे में सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी मानी जाने वाली जगह के पास गश्त की गतिविधियां करते हैं और जब भी सैनिकों के बीच बहस होती है, स्थिति को स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार सुलझाया जाता है।

सूत्रों ने बताया, ‘परस्पर समझ के मुताबिक पीछे हटने से पहले कई घंटों तक बातचीत चल सकती है। हालांकि, बलों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।’ अधिकारियों के मुताबिक, दरअसल भारत-चीन सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं हुआ है और इसलिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर दोनों देशों की समझ में अंतर है।’

अब फिर सीमा क्षेत्र में हजारों चीनी सैनिकों का जमावड़ा निश्चित रूप से किसी न किसी अनहोनी जैसा लग रहा है। भारत ने अब तक जितना संयम बरता, अगर उसकी जगह दुनिया का कोई और राष्ट्र होता तो कब का युद्ध छिड़ गया होता। जब तक चीन को जैसे को तैसा नहीं मिलेगा, तब तक वह आदत से बाज आने वाला नहीं है।

हालांकि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि चीन के दुस्साहस का कड़ा जवाब दिया जाएगा। भारत अपनी ओर से युद्ध नहीं छेड़ना चाहता है, लेकिन हालात बिगड़े तो भारत पूरी तौर पर तैयार है।