चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने लंबे समय से अटके गैर-आक्रामकता समझौते पर बातचीत तीन साल में पूरी करने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते का उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में लगातार होने वाले क्षेत्रीय विवादों को किसी बड़े सशस्त्र संघर्ष में बदलने से
रोकना है।

एक दक्षिण पूर्व एशियाई राजनयिक ने बताया कि चीन और दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) ने हाल में एक बैठक के दौरान 2026 से पहले अपनी आचार संहिता वार्ता को पूरा करने के दिशानिर्देशों पर सहमति व्यक्त की। यह बैठक इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हुई, जिसमें 10 देशों के संगठन के विदेश मंत्रियों और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी ने भाग लिया।

राजनयिक ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि समझौते को लेकर किसी आधिकारिक घोषणा से पहले सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा के लिए वह अधिकृत नहीं हैं। चीन और आसियान के चार सदस्य देशों-ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपीन और वियतनाम के अलावा ताइवान के बीच विवादास्पद जलक्षेत्र में लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है।

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि चीन और आसियान के एक संयुक्त कार्य समूह को ‘समुद्री कानून संबंधी 1982 की संयुक्त राष्ट्र संधि सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, तीन साल की समयसीमा के भीतर या उससे पहले एक प्रभावी और ठोस आचार संहिता को लेकर वार्ता पूरी करने का प्रयास करना चाहिए।’ दिशानिर्देशों में दोनों पक्षों के बीच अधिक बैठकें करने और सबसे विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत शुरू करने का आह्वान किया गया है।