चीन ने बुधवार को कहा कि भारत के साथ मौजूदा गतिरोध के समाधान के लिए किसी ‘‘तीसरे पक्ष’’ की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि दोनों देशों के पास सीमा संबंधी संपूर्ण तंत्र और संपर्क व्यवस्थाएं हैं जिनसे वे वार्ता के जरिए अपने मतभेदों का समाधान कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत से लगती सीमा पर चीन की स्थिति ‘‘सुसंगत और स्पष्ट’’ है।
लिजान ने कहा कि दोनों देशों ने अपने नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को ‘‘ईमानदारी से’’ क्रियान्वित किया है। वहीं, शनिवार को लद्दाख में दोनों देशों के बीच शीर्ष सैन्य स्तर पर बातचीत होगी। भारत की तरफ से बातचीत का नेतृत्व 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे।
झाओ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मंगलवार को हुई बातचीत से संबंधित एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उल्लेखनीय है कि मोदी और ट्रंप ने फोन पर हुई बातचीत में भारत-चीन के बीच जारी सीमा गतिरोध पर चर्चा की। झाओ ने कहा, ‘‘अब वहां (भारत-चीन सीमा) पर स्थिति कुल मिलाकर नियंत्रण योग्य है।
चीन और भारत के पास सीमा संबंधी संपूर्ण तंत्र और संपर्क व्यवस्थाएं हैं। हमारे पास वार्ता और चर्चा के जरिए मुद्दे का समाधान करने की क्षमता है।’’उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है।’’ मोदी और ट्रंप के बीच भारत-चीन सीमा तनाव पर हुई बातचीत को लेकर यह चीन की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है।
ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक ट्वीट में कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं और वह मध्यस्थता करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘हमने भारत और चीन दोनों को सूचित कर दिया है कि सीमा विवाद पर अमेरिका मध्यस्थता करने को तैयार, इच्छुक है और मध्यस्थता करने में सक्षम है।’’ भारत और चीन दोनों ही ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश खारिज कर चुके हैं।
झाओ ने कहा, ‘‘हमने भारत और चीन के बीच संबंधित संधि का कड़ाई से पालन किया है और हम देश की संप्रभुता और सुरक्षा को बरकरार रखने तथा साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग चार सप्ताह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी चली आ रही है। दोनों देश विवाद के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर रहे हैं।