चीन एक बार फिर अपने यहा धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों के प्रति सख्त रवैये को लेकर चर्चा में है। चीन ने अपने यहां इस्लाम के प्रभाव को कम करने के प्रयास के मद्देनजर मस्जिदों के रंग रूप में बदलाव करना शुरू कर दिया है।
इसके तहत मस्जिदों के गुंबदों व इस्लामिक प्रतीक चिह्नों को हटवाने के साथ ही उनका नया रंगरोगन कराना भी शामिल है। इस क्रम में हाल ही में चीन के निंगझिया प्रांत की नांगुआन मस्जिद का जीर्णोद्धार शामिल है। इस मस्जिद की गुंबद और मीनारों को हटवा दिया गया है। साथ ही इन्हें नया रंगरूप दे दिया गया है। चीन में ब्रिटिश मिशन की डिप्टी चीफ क्रिश्चियन स्कॉट ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस मस्जिद की नई और पुरानी तस्वीर शेयर की है।
क्रिस्टिना स्कॉट ने सोशल मीडिया पर जो तस्वीर पोस्ट की है उसमें नानगुआन मस्जिद बिना गुंबद के दिख रही है। क्रिस्टिना ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मस्जिद पहले हरे रंग की थी और इसमें एक गुंबद भी मौजूद था, लेकिन अब इस पर से सभी इस्लामी प्रतीक हटा दिए गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि लोगों को यात्रा की सलाह देने वाले पर्यटकों को इस मस्जिद में घूमने की सलाह देते हैं।
लेकिन यहां किसी भी व्यक्ति को घूमने की इजाजत नहीं है। उन्होंने आगे लिखा कि मस्जिद का शक्ल बदला जाना निराशाजनक है। गौरतलब है कि चीन ने धार्मिक कट्टरता के खिलाफ वर्ष 2016 में कल्चरल व्हाइटवाश अभियान की शुरुआत हुई थी। इसके तहत छोटी मक्का के नाम से मशहूर शहर लिनझिआ की मस्जिद में अरब देशों की तर्ज पर बनाए गए गुंबदों को हटा दिया गया था।
TripAdvisor suggested the Nanguan Mosque in #Yinchuan well worth a visit. Only this is what it looks like now, after ‘renovations’. Domes, minarets, all gone. No visitors allowed either, of course. So depressing. pic.twitter.com/WSXaAFclHX
— Christina Scott (@CScottFCDO) October 18, 2020
अब यहां से हर मस्जिद के गुंबद को तोड़ा जा रहा है। डेली मेल की खबर के अनुसार शी जिनपिंग के चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बनने के बाद से ही चीन में धार्मिक स्थलों के खिलाफ अभियान में तेजी आ गई थी। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीते कुछ सालों से चीन में धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई के मामले बढ़े हैं।
कुछ समय पहले मुस्लिम बहुल शिनजियांग के अतुश सुंथग गांव में एक मस्जिद को पब्लिक टॉयलेट में बदल दिया गया जबकि दो मस्जिदों को गिरा दिया गया था। अतुश सुंथग गांव के उइगर मुस्लिम कमेटी के चीफ के अनुसार गांव में सभी घर में पहले से ही टॉयलेट हैं। ऐसे में मस्जिद को टॉयलेट बनाने की कोई जरूरत नहीं थी।