साउथ चाइना सी में द्वीपों को लेकर चल रहा विवाद थमता नहीं दिख रहा है। इस मसले पर सीधे अमेरिका से टकरा रहे चीन ने अब अपने तेवर और भी आक्रामक कर लिए है। खबर है कि साउथ चाइना सी के विवादित द्वीपों पर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर खड़ा करने के बाद चीन अब यहां से विमान सेवा शुरू करने जा रहा है। चीन के सरकारी मीडिया ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि यह सेवा अगले 2016 में ही शुरू की जा सकती है।

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खबर है कि विमान सेवा साउथ चाइना सी के वूडी आइलैंड से सान्शा सिटी तक चलेगी। इस कवायद का मकसद साउथ चाइना सी के विवादित द्वीपों पर नियंत्रण बनाकर रखना है। साउथ चाइना सी के द्वीपों पर चीन अपना अधिकार जताता है। दूसरी ओर मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इन द्वीपों पर अपना हक जताते आ रहे हैं। लेकिन समस्‍या यह है कि इन देशों के पास न तो इतनी सैन्‍य ताकत है और न ही समंदर में व्‍यापक स्‍तर पर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर खड़ा करने की टेक्‍नोलॉजी। इसी बात का फायदा उठाकर चीन लगातार विवादित क्षेत्र में न केवल कृत्रिम द्वीप बना रहा है बल्कि वहां सैन्‍य साजो-सामान भी तैनात कर रहा है। साउथ चाइना सी में पर तेल-गैस के बड़े भंडार हैं, जिनकी वजह से चीन पूरे क्षेत्र पर अपना हक जता रहा है। चीन ने पिछले महीने ही साउथ चाइना सी में रडार लगाने का काम शुरू किया।

विमान सेवा के बारे में मेयर झियाओ जी के मुताबिक, दो पैसेंजर्स शिप और एक पुलिस के जहाज को बेस स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। सान्शा सिटी और वूडी आइलैंड के बीच फ्लाइट शुरू होने से रीजन में एयर ट्रैफिक सर्विस को बढ़ावा मिलेगा। नेविगेशन और निगरानी रखे जाने से वेदर और एयरोनॉटिक्स रिलेटेड इन्फॉर्मेशन मिल सकेंगी। दूसरी ओर अमेरिकी विदेश मंत्रालय कह प्रवक्‍ता एना रिची एलन ने कहा कि चीन को साउथ चाइना सी में किसी भी मिलिट्री एक्टिविटी से दूर रहना चाहिए। चीन को कोशिश करनी चाहिए कि वह विवादित क्षेत्र को लेकर एक मसौदा तैयार करे।

कुछ महीने पहले साउथ चाइना सी में चीन के कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी जंगी जहाज यूएसएस लासेन गुजरा था। इसे लेकर चीन आगबबूला हो गया था। आपको बता दें कि साउथ चाइना सी में वियतनाम के साथ मिलकर भारत भी तेल की खोज कर रहा है। नई दिल्‍ली ने जब यह निर्णय लिया था, उस वक्‍त भी बीजिंग ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

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