चीन ने पाकिस्‍तान को न्‍यूक्लिर रिएक्‍टर देकर 2010 में न्‍यूक्लियर टेक्‍नोलॉजी की सप्‍लाई पर हुई NPT रिव्‍यू कॉन्‍फ्रेंस में बनी आम सहमति का उल्‍लंघन किया है। यह खुलासा हुआ है आर्म्‍स कंट्रोल एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट में जिसमें अप्रसार पर प्रगति की समीक्षा की गई है। यह संस्‍था परमाणु हथियारों और निरजस्‍त्रीकरण के क्षेत्र में अग्रणी है। पाकिस्‍तान ने IAEA के सुरक्षा नियमों के तहत भी नहीं आता। चीन ने Nuclear Suppliers Group (NSG) में भारत की सदस्‍यता पर यह कहते हुए अडंगा लगा दिया था कि समूह में गैर-NPT सदस्‍य की एंट्री अतंर्राष्‍ट्रीय अप्रसार व्यवस्था को कमजोर करेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान के चश्‍मा-3 रिएक्‍टर को लेकर चीन की 2013 की डील, 2010 की NPT रिव्‍यू कॉन्‍फ्रेंस के आम सहमति पत्र से विरोधाभासी है । आम सहमति के अनुसार, ”न्‍यूक्लिर मैटेरिय ल्‍स और टेक्‍नोलाॅजी के ट्रांसफर में प्राप्त करने वाले देश को ‘IAEA के पूर्ण सुरक्षा उपायों और परमाणु हथियार हासिल न करने के अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनी रूप से बाध्‍य समझौतों’ को मानना होगा। इस्‍लामाबाद ने दोनों में किसी पर भी सहमति नहीं जताई है।

NPT पर हस्‍ताक्षर करने वाले भारत ने NSG सदस्‍यता में रुकावट डालने के लिए चीन को जिम्‍मेदार ठहराया था। हालांकि भारत को उम्‍मीद है कि चीन इस मसले पर अपनी स्थिति की समीक्षा करेगा। जून में विएना और सियोल में हुई NSG की बैठकों से पहले, चीन ने NSG अध्‍यक्ष राफेल मैरियानो ग्रॉसी को लिखा था कि NSG सदस्‍यता के लिए ‘कुछ तयशुदा कारकों’ को ध्‍यान में लिया जाए और किसी ‘विशेष गैर-एनपीटी’ देश को सदस्‍यता देने से पहले और चर्चा की जरूरत है। पाकिस्‍तान के चश्‍मा न्‍यूक्लियर ऊर्जा कॉम्‍प्‍लेक्‍स को करीब 6 रिएक्‍टर्स की सप्‍लाई के रास्‍ते में चीन की NSG सदस्‍यता रोड़ा नहीं बनी। 2003 में हुए एक समझौते के बाद से चीन खुद को पाकिस्‍तान के रिएक्‍टर्स का ‘पितामह’ होने का दावा करता है। 2004 में एनएसजी की सदस्‍यता मिलने से पहले ही चीन यह समझौता कर चुका था। हालांकि रिपोर्ट का कहना है कि अपवाद सिर्फ पहले दो चश्‍मा रिएक्‍टर्स पर लागू होना चाहिए जिनकी बिक्री चीन के NSG में शामिल होने से पहले ही हो चुकी थी।

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यह साफ हो चुका है कि पाकिस्‍तान के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को सहायता पहुंचाने में, चीन ने एनएसजी की कई गाइडलाइंस का उल्‍लंघन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ”अपने एक्‍सपोर्ट कंट्रोल्‍स में प्रगति के बावजूद चीन पाकिस्‍तान को न्‍यूक्लियर पावर रिएक्‍टर्स सप्‍लाई करना जारी रखे हुए हैं, वह भी तब जब रिएक्‍टर्स की बिक्री को एनएसजी की आम सहमति से अपवाद का दर्जा नहीं मिला है। पाकिस्‍तान जरूरी शर्ते पूरी नहीं करता, इसलिए वह एनएसजी के नियमों के तहत ऐसी सहायता पाने का अधिकारी नहीं है।