संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को पनामा नहर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव देखने को मिला। अमेरिका ने चेतावनी दी कि इस अहम जलमार्ग पर चीन का प्रभाव वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, जबकि चीन ने अमेरिकी आरोपों को नहर पर कब्जा करने का बहाना बताया। यह टकराव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में देखने को मिला।
इस महीने पनाम परिषद की मीटिंग की अध्यक्षता कर रहा है। राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने नहर की तटस्थता और अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले वॉटर वे पर अपने देश के स्वामित्व पर जोर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल नंवबर में चुनाव जीतने से पहले ही पनामा को सुर्खियों में ला दिया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि उनके देश को पनामा पर नियंत्रण वापस लेने पर विचार करना चाहिए। पनामा पर चीन को प्रभाव सौंपने का आरोप लगाया था।
अमेरिका ने चीन पर साधा निशाना
अमेरिका ने 1990 के दशक की शुरुआत में अपने कोस्ट के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सही बनाने के उपायों की तलाश में इस नहर का निर्माण किया था। 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने एक संधि पर साइन किए थे और 1999 के इस वॉटर वे का कब्जा पनामा को ट्रांसफर कर दिया गया। एक्टिंग अमेरिकी राजदूत डोरोथी शीया ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में कहा, “नहर क्षेत्र में चीन का प्रभाव न केवल पनामा और अमेरिका के लिए जोखिम है, बल्कि वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के लिए भी एक संभावित खतरा है।”
चीन पर फिर नरम पड़े ट्रंप के तेवर
चीन ने अमेरिका को दिया जवाब
वहीं, चीन के संयुक्त राष्ट्र राजदूत फू कांग ने परिषद में इस बात पर जोर दिया कि पनामा ने लगातार और प्रभावी ढंग से नहर का प्रबंधन किया है। इतना ही नहीं शिपिंग और व्यापार में भी इसका अहम योगदान है। उन्होंने कहा, “चीन ने हमेशा नहर की तटस्थता का सम्मान किया है और नहर पर अपनी संप्रभुता की रक्षा करने और इसके खुलेपन और संचालन को करने में पनामा का समर्थन किया है।”
पनामा ने नहर पर कब्जा करने का कड़ा विरोध किया है, लेकिन अप्रैल में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पनामा का दौरा किया और मुलिनो के साथ सिक्योरिटी बढ़ाने पर सहमति जताई। चीन के फू ने सभी परिषद सदस्यों के बोलने के बाद शीया के आरोपों का जवाब देने के लिए मंच मांगा, इस बार उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, “चीन के खिलाफ झूठ और निराधार हमले का अमेरिका का प्रयास, नहर पर कब्जा पाने के लिए एक बहाना मात्र है।” फू ने कहा, “चीन आर्थिक दबाव और धमकाने की प्रथाओं का दृढ़ता से विरोध करता है और अमेरिका से आग्रह करता है कि वह अफवाहें, झूठ फैलाना और परेशानी पैदा करना बंद करे।” अमेरिका-चीन के आमने-सामने होने से मुश्किल मोड़ पर भारत