पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने फिर से सेना के खिलाफ तीखे तेवर दिखाए हैं। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (PTI) के नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि आर्मी कोर्ट्स बगैर हमें सूचना दिए मामलों का ट्रायल न शुरू करें।
ये बात चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बांदियाल की अगुवाई वाली छह जजों की बेंच ने कही। बेंच में जस्टिस इजाजुल अहसान, जस्टिस मुनीब अख्तर, जस्टिस याहया अफरीदी, जस्टिस सैय्यद मजहर अली नकवी और जस्टिस आयशा ए मलिक शामिल रहीं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एताज अहसान की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट लतीफ खोसा ने कहा कि पाकिस्तान में आज कुछ वैसा ही माहोल है जैसा जनरल जिया-उल-हक के समय में था।
प्रधान न्यायाधीश ने उसके बाद आदेश दिया कि सैन्य अदालत को हमें सूचित किए बिना नौ मई को हुई सरकार-विरोधी हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा शुरू नहीं करना चाहिए। उमर अता बंदियाल ने गिरफ्तार नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमे को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। यह मामला भ्रष्टाचार के आरोप में इमरान खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके समर्थकों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ा है। नौ मई को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल 100 से अधिक संदिग्धों के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमा चलाने की बात सेना ने कही थी।
इमरान खान की अरेस्ट के बाद हुए थे हिंसक प्रदर्शन
ध्यान रहे कि नौ मई को इस्लामाबाद में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाहौर में कोर कमांडर के आवास, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी भवनों में तोड़फोड़ की थी। भीड़ ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर भी हमला किया था।