अफगानिस्तान की सरकार ने काबुल में अपनी हिंसक गतिविधियों के लिये कुख्यात गुलबुद्दीन हिकमतयार के साथ गुरुवार (22 सितंबर) को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया जिससे युद्ध अपराध का इतिहास होने और वर्षों से छिपे होने के बावजूद उसके राजनीति में लौटने का रास्ता साफ हो जाएगा।
तालिबान बाद के युग में हिकमतयार उन विवादास्पद लोगों में शामिल है जिसे काबुल ने मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया है। वह फिलहाल निष्क्रिय हिज्ब ए इस्लामी आतंकवादी समूह का मुखिया है।

अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े आतंकवादी समूह के साथ समझौते को राष्ट्रपति अशरफ गनी के लिए सांकेतिक जीत माना जा रहा है जो शक्तिशाली तालिबान के साथ शांति वार्ता बहाल करने के लिए प्रयासरत हैं। हिकमतयार के समूह हिज्ब ए इस्लामी के प्रतिनिधिमंडल और अफगानिस्तान के हाई पीस काउंसिल :एचपीसी: के सदस्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ हाथ मिलाया। काबुल में आयोजित एक आधिकारिक समारोह में इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

एचपीसी की उप प्रमुख हबीबा सोराबी ने बताया, ‘‘हाई पीस काउंसिल, अफगान सरकार के नेतृत्व और हिज्ब ए इस्लामी के बीच दो साल की बातचीत के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है। शांति वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है।’ राष्ट्रपति अशरफ गनी और हिकमतयार के औपचारिक रूप से हस्ताक्षर करने के बाद यह समझौता अमल में आ जाएगा, हालांकि इसके लिए किसी तिथि का फैसला नहीं किया गया है। अफगानिस्तान में 1980 के दशक में सोवियत विरोधी कमांडर रहे हिकमतयार को ‘काबुल का कसाई’ कहा जाता था। 1992-1996 के दौरान काबुल में गृह युद्ध के दौरान हिकमतयार पर हजारों लोगों की हत्या का आरोप है। समझौते पर हस्ताक्षर के समय न तो हिकमतयार और न ही गनी ही उपस्थित थे। माना जाता है कि हिकमतयार पाकिस्तान में छिपा है, हालांकि उसके समूह का दावा है कि वह अफगानिस्तान में ही है।