कई लोग कहते हैं किताबों की चोरी चोरी नहीं होती लेकिन 77 वर्षीय ब्रिटिश महिला एलिस गिलेट शायद इसमें यकीन नहीं करतीं। एलिस ने जब 130 साल पहले स्कूल की लाइब्रेरी से संभवतः चुराई गई किताब जब लौटाई तो ये खबर मीडिया में छा गई। शायद ये अपनी तरह का पहला मामला होगा। एलिस के दादा ऑर्थर ई बॉयकॉट ने ये किताब अपनी स्कूल की लाइब्रेरी से ली थी और शायद लौटाई नहीं थी। एलिस ने स्कूल को किताब लौटाते हुए लिखा, “लगता है आपके पुराने छात्र ने ये किताब चुरा ली थी।”

गुुरुवार (8 दिसंबर) को मीडिया को जारी बयान के अनुसार एलिस को डॉक्टर विलियम बी कारपेंटर की लिखी किताब “द माइक्रोस्कोप एंड इट्स रिवीलीशंस ” तब मिली जब वो अपने पति के इंग्लैंड के सॉमरसेट स्थित आवास की सफाई कर रही थीं। करीब 1000 पन्नों की किताब को पलटते हुए एलिस ने देखा कि उस पर हेयरेफोर्ड कैथेड्रल स्कूल की लाइब्रेरी की डेट स्टैंप (मुहर) लगी है। मुहर के अनुसार ये किताब 1886 में लाइब्रेरी से ली गई थी।

एलिस के दादा प्रोफेसर आर्थर ई बॉयकॉट ने 1886 से 1894 के बीच पढ़ाई की थी। ब्रिटिश अखबार मेट्रो डॉट को डॉट यूके के अनुसार आर्थर एक प्रतिष्ठित प्रकृतिविज्ञानी और पैथोलॉजिस्ट थे। एलिस ने स्कूल ने क्षमापत्र के साथ किताब स्कूल को लौटा दी। एलिस ने अपने पत्र में लिखा, “बहुत खेद के साथ मुझे आपको सूचित करना पड़ रहा है कि आपके एक पुराने छात्र ए ई बॉयकॉट ने शायद ये किताब चुरा ली थी। मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती कि स्कूल ने इसके बिना किस तरह गुजारा किया होगा।”

स्कूल ने किताब देर से लौटान के लिए एलिस से कोई जुर्माना नहीं लिया क्योंक हेयरेफोर्ड स्कूल तय तारीख से बाद जमा की जाने वाली किताबों पर कोई शुल्क नहीं लेता। ब्रिटेन की दूसरी आम लाइब्रेरियों में किताब तय तारीख से देर से देने पर प्रति दिन 17 पाउंड का जुर्माना देना होता है। अगर स्कूल में ऐसा शुल्क होता तो एलिस को 7,44600 पाउंड (करीब छह लाख रुपये) देने पड़ सकते थे।

एलिस ने बताया कि बॉयकॉट को प्रकृतिविज्ञान में गहरी रुचि थी, खासकर घोंघों के बारे में। उन्होंने 15 साल की उम्र में घोंघों पर अपना पहला शोध पत्र प्रकाशित कराया था। उन्हें घोंघों से इतना लगाव था कि वो अपने जेब में उन्हें रखते थे। एलिस के दादा को पेड-पौधों से भी गहरा लगाव था। वहीं स्कूल ने किताब वापस मिलने पर खुशी जताई। स्कूल के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, “हम इस किताब को वापस पाकर खुश हैं और ये जिस अच्छी हालत में है उसे देख कर और भी खुश हैं।”

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डॉक्टर विलियम बी कारपेंटर की लिखी किताब “द माइक्रोस्कोप एंड इट्स रिवीलीशंस ” की फाइल फोटो।