रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच पूरी दुनिया की निगाहें तृतीय विश्व युद्ध की आशंका पर गड़ी है। हालांकि NATO की तरफ से साफ कर दिया गया है कि उसकी सेनाएं यूक्रेन जाकर युद्ध नहीं करेंगी। वहीं अब ताजा स्थिति को देखें तो यूक्रेन ने लगभग सारे देशों से मदद की गुहार तो की लेकिन कोई भी देश बयानबाजी के अलावा उसके साथ युद्ध में तटस्थ नजर नहीं आ रहा है।

इस मुद्दे पर यूक्रेन चाहता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात कर मामले का हल निकालें। हालांकि भारत की तरफ से कोई तीव्र सक्रियता नहीं दिखाई गई है। ऐसे में भाजपा राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने एक ट्वीट में इसे ताकत के मामले में दो बेमेल देशों का युद्ध बताया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन जैसे सॉफ्ट टारगेट पर रूस की तरफ से संवेदनहीन बमबारी घोर क्रूरता का घृणित कार्य है। भिड़ने के लिए अपने आकार और ताकत वाले को चुनना चाहिए जैसे यूनाइटेड स्टेट।

उन्होंने लिखा कि इस युद्ध पर भारत की चुप्पी हमारी प्राचीन सांस्कृतिक भूमि के मौजूदा नेतृत्व में नैतिकता की कमी को साफ जाहिर करती है।

बता दें कि जिस तरह से यूक्रेन अलग-थलग पड़ा है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि यूक्रेन इस पूरे मामले में बलि का बकरा बनाया गया है। सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ एके श्रीवास्तव का मानना है कि अभी के हालात में यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करना है। रूस की सेना का मुख्य उद्देश्य कीव पर कब्जा जमाकर सत्ता हथियाने का है। इसका असर यह होगा कि गैस और तेल के दामों में वृद्धि देखने को मिलेगी। इससे जीडीपी पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि यूक्रेन बलि का बकरा बन गया है।

श्रीवास्तव का कहना है कि NATO ने यूक्रेन को जिस तरह चलाया उससे यूक्रेन अकेला पड़ गया है। उसके साथ आज कोई खड़ा नहीं है। NATO ने भी उसे उसके हाल पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन का कोई मुकाबला नहीं है। रूस की ताकत यूक्रेन से करीब 60 फीसदी अधिक है।