नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बड़ी राहत मिली है। पाकिस्तान सरकार और मुद्रा कोष तीन अरब डॉलर के समझौते के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गए हैं। इससे पाकिस्तान को वैश्विक झटकों से निपटने और अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में मदद मिलेगी। यह समझौता कर्मचारियों के स्तर पर है। यह मुद्रा कोष के कार्यकारी निदेशक मंडल की मंजूरी पर निर्भर है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही है। पिछले कई साल से तेज गिरावट की स्थिति है। इससे गरीब जनता पर अनियंत्रित महंगाई के रूप में दबाव आ गया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के लिये गुजारा करना लगभग असंभव हो गया है। पाकिस्तान के इस संकट में इजाफा तब और ज्यादा हो जाता है जब उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर डाली जाए। इसमें दिन प्रति दिन की गिरावट आती जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाकिस्तान में मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ टीम ने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ नौ महीने के स्टैंड-बाय अरेंजमेंट (एसबीए) के तहत 225 करोड़ एसडीआर (लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर) की राशि पर स्टाफ लेबल समझौता किया है। यह राशि पाकिस्तान के मुद्रा कोष में कोटा का 111 फीसदी है।

नौ महीने के लिए है तीन अरब डॉलर का पैकेज

समझौता अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। अब यह मुद्रा कोष के कार्यकारी निदेशक मंडल की मंजूरी पर निर्भर है। वह इस पर जुलाई के मध्य में विचार कर सकता है। तीन अरब डॉलर का पैकेज नौ महीने के लिए है। यह पाकिस्तान की उम्मीद से अधिक है। देश 2019 में हुए समझौते के तहत 6.5 अरब डॉलर के पैकेज में से 2.5 अरब डॉलर की प्रतीक्षा कर रहा था। 3 अरब डॉलर की रकम पाकिस्तान को बड़ा संबल प्रदान करेगी।

तकरीबन हर मोर्चे पर संकट से जूझ रहा है पाकिस्तान

फिलहाल यह देश तकरीबन हर मोर्चे पर जूझ रहा है। एक तरफ राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है तो पाकिस्तानी रुपया तेजी से दम तोड़ता जा रहा है। महंगाई अपने चरम पर है तो विदेशी मुद्रा का भंडार सिमटते जाने से जरूरी चीजों की खरीद फरोख्त में भी दिक्कत आ रही है।